- तारीखों के बीच उलझ रहे मामले, नवंबर अंत तक जितने प्रकरण आए उसमें से आधे भी निराकृत नहीं
रायगढ़। राजस्व न्यायालयों में मूल काम ही अटक रहे हैं। कभी अधिकारी नहीं रहते तो कभी कोई कार्यक्रम आ जाता है। कभी कोई बैठक तो कभी किसी वीआईपी का दौरा। राजस्व न्यायालयों में सीमांकन और बंटवारा के प्रकरण भी कई पेशियों तक चलते रहते हैं। नवंबर अंत तक की स्थिति देखें तो पता चलेगा कि आधे मामले भी निराकृत नहीं हो सके। आमतौर पर गांवों में बंटवारा अविवादित ही होता है। भाइयों के बीच आपसी सहमति से पिता संपत्ति का बंटवारा करता है। अपवाद स्वरूप कुछ ही मामले विवादित होते हैं। अक्टूबर-नवंबर में जिले में बंटवारे के कुल 162 प्रकरण आए। इनमें से 35 में ही निराकरण हो सका है। 127 लंबित हैं। सामान्य मामले भी कई पेशियों तक लंबा खिंचते चले जाते हैं।





इसी तरह सीमांकन के मामलों में भी राजस्व न्यायालय पिछड़ रहे हैं। लोक सेवा गारंटी के नियमों का पालन ही नहीं हो रहा है। पिछले दो महीनों में जिले में 463 सीमांकन के प्रकरण दर्ज किए गए। इनमें से 113 निराकृत हुए और 350 लंबित रह गए। सबसे ज्यादा मामले तमनार तहसील में सामने आए हैं। यहां 327 सीमांकन के प्रकरण दर्ज किए गए थे जिसमें से 101 का निराकरण हो सका और 226 लंबित हैं।





कोयला धारित क्षेत्रों में बंटवारे
कोल ब्लॉक क्षेत्रों में मुआवजा प्राप्त करने के लिए परिवार में ही आपसी टकराव होने लगता है। छोटे टुकड़ों की जमीन का मुआवजा ज्यादा मिलता है। इसलिए अब भूमि के बंटवारे भी तेजी से हो रहे हैं। घरघोड़ा और तमनार में सीमांकन-बंटवारे के प्रकरण अन्य तहसीलों से अधिक हैं।
















