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किसान ध्यान दें : अब आधे दाम में मिलेंगे कृषि यंत्र! छत्तीसगढ़ सरकार दे रही है तगड़ा अनुदान.. जानिए डिटेल

  • इस वित्तीय वर्ष में अब तक 882 किसानों को मिला आधुनिक कृषि यंत्र
  • किसान विकसित भारत विजन की परिकल्पना की ओर हो रहे अग्रसर

रायपुर। छत्तीसगढ़ का किसान अब केवल ‘अन्नदाता’ ही नहीं, बल्कि एक ‘टेक-सेवी’ उद्यमी बनने की राह पर है। राज्य के खेतों में अब बैलों की घंटियों से ज्यादा आधुनिक मशीनों का शोर सुनाई दे रहा है। मुख्यमंत्री के विजन और छत्तीसगढ़ राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम की सक्रियता से इस वित्तीय वर्ष में अब तक 882 किसानों ने अनुदान पर आधुनिक कृषि यंत्र अपनाकर खेती को मुनाफे का सौदा बना लिया है। पारंपरिक खेती में सबसे बड़ी चुनौती समय और श्रम की थी। लेकिन अब सरकार रोटावेटर, पैडी ट्रांसप्लांटर, पावर वीडर और लेजर लैंड लेवलर जैसे महंगे यंत्रों को सब्सिडी के माध्यम से छोटे किसानों की पहुँच में ले आई है। कृषि विभाग के अधिकारियों का मानना है कि इन यंत्रों के प्रयोग से न केवल बीज की बर्बादी रुकी है, बल्कि फसल की गुणवत्ता में भी सुधार हुआ है। जब फसल की क्वालिटी अच्छी होती है, तो किसानों को मंडियों में उपज का ‘प्रीमियम दाम’ मिलता है।

किसान ओपेनियन

रायपुर जिले के प्रगतिशील किसान हीरालाल साहू की कहानी राज्य के हजारों किसानों के लिए प्रेरणा है। हीरालाल बताते हैं: “पहले खेत तैयार करने में 3-4 दिन लग जाते थे, ऊपर से मजदूरों की समस्या अलग। जब से अनुदान पर रोटावेटर मिला है, वही काम कुछ ही घंटों में निपट जाता है। सबसे बड़ी बात यह है कि इससे पैदावार में 25 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई है। बिलासपुर जिले के किसान नारायण दल्लू पटेल ने बीज निगम के माध्यम से अनुदान पर स्व-चलित रीपर प्राप्त किया। उन्होंने बताया कि पहले एक एकड़ फसल की कटाई में 10-12 मजदूर और पूरा दिन लगता था, जबकि अब वही कार्य 2-3 घंटे में पूरा हो जाता है। इससे कटाई लागत में 50-60 प्रतिशत तक कमी आई है और समय पर कटाई संभव हो सकी है। खैरागढ़-छुईखदान-गंडई जिले के किसान लेखूराम छेदईया ने अनुदान पर सीड ड्रिल मशीन क्रय किए है। उन्होंने बताया कि इस मशीन का प्रयोग बोआई में करने पर बीज की 15-25 प्रतिशत तक बचत होती है। समान दूरी और गहराई पर बोआई से अंकुरण बेहतर हुआ है और उत्पादन में 20-30 प्रतिशत तक वृद्धि दर्ज की गई।

छत्तीसगढ़ के किसानों के लिए क्यों जरूरी हैं ये मशीनें?

धान के कटोरे में ‘मल्टी-क्रॉपिंग’ का बढ़ता ट्रेंड: छत्तीसगढ़ में धान के बाद रबी फसल के लिए समय कम मिलता है। आधुनिक यंत्र मिट्टी की नमी सूखने से पहले बुआई सुनिश्चित करते हैं। कटाई के पीक सीजन में मजदूरों की कमी और बढ़ती मजदूरी से किसान परेशान रहते हैं। स्व-चलित रीपर और थ्रेशर ने किसानों को आत्मनिर्भर बना दिया है। एक ही बार की जुताई में बेहतर मिट्टी तैयार होने से डीजल का खर्च आधा हो गया है।

सब्सिडी के लिए आवेदन कैसे करें?

यदि आप भी छत्तीसगढ़ के पंजीकृत किसान हैं, तो इन यंत्रों पर अनुदान प्राप्त करना अब बेहद सरल है। लघु एवं सीमांत किसानों को योजना में प्राथमिकता दी जाती है।आधार कार्ड, बैंक पासबुक, ऋण पुस्तिका (B-1, P-2) और मोबाइल नंबर। अपने क्षेत्र के ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी (RAEO) से मिलें या सीधे बीज एवं कृषि विकास निगम के कार्यालय में आवेदन करें। बहरहाल खेती में तकनीक का समावेश केवल उत्पादन नहीं बढ़ाता, बल्कि यह अगली पीढ़ी को खेती से जोड़े रखने का काम भी करता है। छत्तीसगढ़ सरकार की यह पहल ‘विकसित भारत’ के सपने को जमीनी हकीकत में बदल रही है।