रायगढ़, 12 मार्च। एनटीपीसी लारा प्लांट की एक ठेका कंपनी जुबेरी कंस्ट्रक्शन ने सालों से जिले के खनिजों का अवैध दोहन किया है। अब खनिज विभाग ने रॉयल्टी क्लीयरेंस के लिए आए आवेदन पर करीब 54 लाख पेनाल्टी का नोटिस एनटीपीसी को दिया है। रॉयल्टी क्लीयरेंस का नियम होने के बावजूद जुबेरी कंस्ट्रक्शन ने क्यों बिना टीपी के अवैध रेत और गिट्टी का उपयोग किया है। दरअसल एनटीपीसी के ठेकों में मटेरियल का स्टैंडर्ड रेट काफी अधिक है। जबकि रेत की पेनाल्टी करीब ढाई सौ रुपए प्रति घन मीटर है। एनटीपीसी जिस दर पर मटेरियल का पेमेंट करती है, उससे खनिज विभाग की पेनाल्टी दर आधी से भी कम होती है। इसलिए कंपनियां अवैध खनिज खपाने से परहेज नहीं करतीं। जुबेरी ने एनटीपीसी के एक अधिकारी से बैक डेट में आवेदन करवाया।
मामला उजागर हुआ तो कहा गया कि कंपनी से पूरी मात्रा की पेनाल्टी वसूली जाएगी। अब 2016 से 2019 तक के काम का रॉयल्टी क्लीयरेंस देने की तैयारी कर ली गई है। खनिज विभाग ने एनटीपीसी को 53.51 लाख रुपए की पेनाल्टी चुकाने का नोटिस दिया है। यह बहुत संदेहास्पद है कि चार साल पहले पूरे हो चुके काम के लिए अब क्लीयरेंस मांगा गया है। सूत्रों के मुताबिक उपयोग किए गए खनिज की मात्रा अधिक भी हो सकती है। दिलचस्प बात यह है कि जुबेरी कंस्ट्रक्शन प्रालि ने अवैध खनिजों का उपयोग कर एनटीपीसी का निर्माण किया। बिल अटका तभी रॉयल्टी क्लीयरेंस करवाया। सवाल यह है कि अब तक एनटीपीसी लारा के निर्माण उपयोग किए गए सारे निर्माण कार्य में लगे मटेरियल का रॉयल्टी क्लीयरेंस करवाया गया?
अवैध खनिज खपता रहा और खनिज विभाग चुप
यह बात तो तय हो गई कि 2016 से काम खत्म होते तक जुबेरी कंस्ट्रक्शन ने अवैध रेत और गिट्टी ही उपयोग की। बिना रॉयल्टी के गाडिय़ों से अवैध खनिज परिवहन किया जाता रहा और खनिज विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं की। सह भी संभव है कि जुबेरी कंस्ट्रक्शन अभी भी जो काम कर रहा होगा, उनमें भी अवैध खनिज इस्तेमाल हो रहा होगा। इसकी जांच के बजाय खनिज विभाग सेटिंग कर जुबेरी का बिल पास कराने में लगा हुआ है।
