रायगढ़। सरकार ने खनिजों से मिलने वाली रॉयल्टी के अलावा डीएमएफ के रूप में संबंधित जिलों को फंड उपलब्ध कराने का प्रावधान किया है। हर साल 50 करोड़ से अधिक राशि रायगढ़ जिले को मिलती है जिसे खर्च करने के पूर्व शासी परिषद का अनुमोदन अनिवार्य है। इसके अलावा इस फंड का सोशल ऑडिट कराना होता है। रायगढ़ जिले में पांच सालों का केवल ऑडिट हुआ है। ऑडिट फर्मों को संबंधित सभी दस्तावेज भी नहीं दिए गए। कार्यों का निरीक्षण किए बिना ही रिपोर्ट बना दी गई।
जिस तरह से रायगढ़ जिले में डीएमएफ की राशि को मनमाने तरीके से खर्च किया गया है, उसी तरह से इसका ऑडिट भी कराया गया। एक्ट के मुताबिक हर साल खर्च की गई राशि कासोशल ऑडिट कराया जाना है। इसमें कार्यों का रैंडमली स्थल निरीक्षण भी किए जाने का प्रावधान है। साथ ही हर काम का उपयोगिता प्रमाण पत्र भी होना जरूरी है। व्यय राशि के बिल, व्हाउचर आदि भी ऑडिट फर्म को देना था। डीएमएफ में भ्रष्टाचार इतना अधिक हो चुका है कि अगर सही तरीके से ऑडिट कराया गया तो कई अधिकारी सस्पेंड हो जाएंगे। वित्तीय अनियमितता की एक बड़ी कहानी डीएमएफ में सामने आएगी।
आरटीआई से मिली जानकारी से पता चला है कि जिला प्रशासन ने ऑडिट तो कराया लेकिन न तो सभी दस्तावेज दिए और न ही कार्यों का निरीक्षण करवाया। सोशल ऑडिट की केवल औपचारिकता निभाई गई है। वर्ष 15-16 में संजय शर्मा एंड कंपनी, वर्ष 16-17 में अविनाश बेरीवाल एंड कंपनी, वर्ष 17-18 में अविनाश बेरीवाल एंड कंपनी, वर्ष 18-19 में संजय शर्मा एंड कंपनी और वर्ष 19-20 में भी संजय शर्मा एंड कंपनी ने ही ऑडिट रिपोर्ट तैयार की है। फर्मों ने कई कमियां भी रिपोर्ट में बताई हैं। वर्ष 15-16 की रिपोर्ट में कहा गया है कि कैश बुक मेंटेन नहीं की गई। कोई लेजर एकाउंट भी नहीं था।
यह गड़बड़ी मिली
सोशल ऑडिट कराने के बजाय प्रशासन ने केवल प्राप्त राशि, कार्यों के लिए आवंटन सूची और व्यय के दस्तावेज ही दिए गए। ऑडिट फर्म को केवल एकाउंट से संबंधित ऑडिट करने को कहा गया। इसलिए सोशल ऑडिट तो हुआ ही नहीं। फर्म ने रिपोर्ट में लिखा है कि किसी भी काम का भौतिक सत्यापन नहीं किया गया। स्वीकृत कार्यों के संबंध में व्हाउचर, व्यय और कोटेशन की कोई जानकारी नहीं दी गई। मतलब कार्य कराने के लिए ठेका एजेंसी का चयन अपने हिसाब से कर लिया गया।
300 करोड़ से अधिक राशि खर्च
डीएमएफ में वर्ष 15-16 से 21-22 तक जिले को 316 करोड़ रुपए मिले हैं। जबकि 319 करोड़ के कार्यों की प्रशासकीय स्वीकृति दी गई है। इस दौरान 2282 कार्य स्वीकृत किए गए जिसमें से 1282 पूरे हैं और 972 अधूरे हैं। स्वीकृत कार्यों में 256 करोड़ रुपए जारी किए जा चुके हैं। बाकी राशि अभी जारी नहीं हो सकी है।
