रायगढ़। अभी विधानसभा चुनाव होने में तकरीबन 10 महीने बाकी हैं लेकिन उच्च शिक्षा मंत्री उमेश नंदकुमार पटेल अभी से इलेक्शन मोड में नजर आ रहे हैं। हाल ही के एक पखवाड़े के दौरान श्री पटेल के धुआंधार जनसंपर्क से इसकी बानगी देखने को मिल रही है। यूं तो उमेश पटेल बारहों महीने एक्टिव रहते हैं। उनकी सक्रियता के मामले साफ हैं और उनकी जीवटता व कार्यक्षमता पर किसी को कोई संदेह नहीं होना चाहिए। परिस्थितिवश सियासत में पदार्पण करने के बाद उमेश पटेल अब पूरी तरह से परिपक्व हो गए हैं। उनके बात करने का संयत अंदाज, मृदुभाषी व मिलनसारिता के अलावा विरासत में मिले सियासी गुर उमेश पटेल को उनकी पीढ़ी के अन्य नेताओं से काफी अलग रखता है।












यही कारण है कि कांग्रेस उमेश को भविष्य का नेतृत्व मान रही है। एक कैबिनेट मंत्री के रूप में उमेश पटेल का कार्यकाल निर्विवाद व ईमानदार रहा है। राजनीति को काजल की कोठरी कहा जाता है, लेकिन इसके बावजूद उमेश बेदाग नेता के रूप में स्थापित हो चुके हैं। छत्तीसगढ़ की सियासत के ग्लैमर वर्ल्ड के सितारे के रूप में चमकने के बावजूद उमेश पटेल ने अपना ठेठ देसी अंदाज नहीं छोड़ा है। उनके मिलने का आत्मीय अंदाज कुछ ऐसा है कि लोगों को यह अनुभूति तक नहीं होती है कि वे किसी प्रभावशाली मंत्री से मुलाकात अथवा बात कर रहे हैं। राजनीति के संभावित खतरे को भांपने के लिहाज से इस बाद उमेश पटेल कोई जोखिम लेने की मानसिकता में नहीं हैं। यही कारण है कि वे सतर्क भी हैं और चौकन्ने भी।





उमेश पटेल ने अपने चुनावी अभियान का आगाज कर दिया है। अपनी तैयारी को अमलीजामा पहनाने के बाद उमेश को इस बात से किन्चित मात्र भी फर्क नहीं पड़ता है कि उनके खिलाफ बीजेपी 2023 के चुनाव में किस काबिल तोप पर दांव लगाती है। राजनीति में मानव विज्ञान के फार्मूले का सम्मिश्रण करने के अलावा इस सैद्धांतिक आधार को उमेश पटेल ने बखूबी आत्मसात किया है। कांग्रेस की जड़ों को मजबूत करने के मिशन में डट चुके उमेश पटेल को इस बार कोई संगीन चुनौती मिलने वाली है, फिलहाल तो ऐसा कुछ नजर नहीं आ रहा है।



