पूर्व एसडीएम ने केवल एनएच के अफसरों की बात सुनी, पुनर्वास तक काट दिया
रायगढ़। उरगा से धरमजयगढ़ होते हुए पत्थलगांव तक भारतमाला परियोजना के तहत रोड बनने वाली है। इसका भूअर्जन विवादों में है क्योंकि अधिकारियों ने गाइडलाइन रेट को दरकिनार कर एनएच के एसओआर रेट को मान्य कर दिया। इस वजह से मकान और दूसरे निर्माणों का मुआवजा कम बन गया है। इसी वजह से प्रभावित विरोध में उतर आए हैं। केंद्र सरकार ने पूरे देश में फोरलेन सड़कों का जाल बिछाने के लिए भारतमाला परियोजना प्रारंभ की है। इसके तहत लंबे और व्यस्त रूट को निर्बाध बनाकर निर्माण किया जाना है। इसी के तहत रायपुर से धनबाद तक फोरलेन प्रोजेक्ट शुरू किया गया है, जिसमें उरगा से पत्थलगांव तक 105 किमी का भी हिस्सा है।
उरगा से धरमजयगढ़ 70 किमी और धरमजयगढ़ से पत्थलगांव 35 किमी का रोड बनाया जाना है। करीब 1275 करोड़ का बजट इस हिस्से के लिए है। इसका ठेका भोपाल के दिलीप बिल्डकॉन को मिला है। पहले से मौजूद रोड से अलग एक नए रूट से होकर यह सड़क बनाई जा रही है। इसमें निजी भूमि के साथ वन भूमि भी प्रभावित हो रही है। धरमजयगढ़ में हो रहा भू-अर्जन विवादों में आ गया है। कुछ दिनों पहले मुआवजा कम बनने की शिकायत लेकर ग्रामीणों ने एसडीएम डिगेश पटेल से मुलाकात की थी।
उनका कहना था कि कृषि भूमि का अवार्ड तो ठीक है लेकिन परिसंपत्तियों के आकलन में गड़बड़ी की गई है। जब इसकी पड़ताल की गई तो किसानों की बात सही मिली। पूर्व एसडीएम के कार्यकाल में एनएच के अधिकारियों ने एसओआर रेट से रोड में जा रही संपत्तियों का मुआवजा बनाया। इसे मंजूरी भी दे दी गई। जबकि गाइडलाइन रेट को माना जाना था। बताया जा रहा है कि दोनों के रेट में करीब ढाई सौ रुपए प्रति वर्गफुट का अंतर है। ऐसे में प्रभावितों को उनके मकान, दुकान आदि का कम मुआवजा मिल रहा है।
गलती का नुकसान रोड प्रोजेक्ट को
दरअसल एनएच के अधिकारियों ने सर्वे और मुआवजा गणना के समय ही गलती की। राजस्व विभाग के कर्मचारी भी इस दौरान चुप रहे। रोड से धरमजयगढ़ और बायसी कॉलोनी के कुछ लोग प्रभावित हो रहे हैं। एसओआर रेट करीब 58 रुपए प्रति वर्गफुट है जबकि गाइडलाइन रेट लगभग 314 रुपए है। प्रभावितों की संपत्तियों की गणना एसओआर से हुई है इसलिए मुआवजा कम बना है। अब प्र्रभावितों ने कमिश्नर कोर्ट में अपील कर दी है। भू-अर्जन में गलती का नुकसान प्रोजेक्ट को होगा। ऐसा भी नहीं है कि किसी दूसरे गांव में गाइडलाइन रेट लिया ही नहीं गया, बल्कि वहां तो सीधे गाइडलाइन को ही माना गया है।
पुनर्वास राशि भी नहीं मिलेगी
रायगढ़ जिले में कोई भी भू-अर्जन बिना गड़बड़ी के नहीं होता। भारतमाला परियोजना पर भी दाग लग गया है। मुआवजा गणना में गड़बड़ी करने के साथ पुनर्वास को भी हटा दिया गया है। राज्य सरकार ने रेखीय परियोजनाओं के लिए मुआवजे का आधा अधिकतम पांच लाख रुपए ही पुनर्वास के रूप में देने का नियम लागू किया है। लेकिन 22 लोग ऐसे हैं, जिनका पुनर्वास ही काट दिया गया। अब कमिश्नर कोर्ट में मामला लंबित है।
