करीब 25 लघु उद्योगों के सीए सर्टिफिकेट और प्रोजेक्ट रिपोर्ट आईएचएसडी को भेजी, उद्योग विभाग ने ऐहतियातन उठाया कदम
रायगढ़, 2 मार्च। उपकर देते समय और सब्सिडी लेते समय प्रोजेक्ट की लागत बदलने वाले मामले में अब उद्योग विभाग सतर्क हुआ है। बताया जा रहा है कि करीब 25 फर्मों की सूची और दस्तावेज औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा विभाग को भेजी गई है ताकि वेरीफिकेशन किया जा सके। हालांकि धोखाधड़ी करने वाले दोनों राइस मिलरों और सीए के विरुद्ध कोई कार्रवाई प्रस्तावित नहीं की गई है। सब्सिडी के रूप में सरकार से लाखों रुपए ऐंठने के लिए उद्योग संचालक प्रोजेक्ट कॉस्ट में बदलाव करते हैं। यह ऐसी गड़बड़ी है जिसके कर्ता-धर्ता संचालक और उनके चार्टर्ड एकाउंटेंट हैं। उद्योगों को आईएचएसडी में उपकर देना होता है, इसलिए वहां प्रस्तुत रिपोर्ट और सीए सर्टिफिकेट में कम लागत दिखाई जाती है। जब डीआईसी में पंजीयन के लिए आवेदन किया जाता है तो ज्यादा सब्सिडी पाने के लिए लागत तीन-चार गुना बढ़ा देते हैं।
महालक्ष्मी राईस मिल ग्राम अमुर्रा बरमकेला और हनुमान फूड्स दानसरा ने ऐसी ही चालाकी की है। महालक्ष्मी राइस मिल संचालक माया देवी अग्रवाल ने आईएचएसडी में लाइसेंस के लिए आवेदन में लागत 53.20 लाख रुपए बताई। जिससे उपकर के रूप में एक प्रश राशि 53,200 रुपए चुकाए गए। जबकि डीआईसी में प्रस्तुत प्रोजेक्ट रिपोर्ट में लागत 1,30,68,000 रुपए बताई गई। इस वजह से सब्सिडी के रूप में करीब 50 लाख रुपए क्लेम किए जाते। इसी तरह हनुमान फूड्स मानिकपुर के संचालक चंदन अग्रवाल ने आईएचएसडी में 37.50 लाख रुपए लागत दिखाई और 37500 रुपए सेस दिया। जबकि डीआईसी में सब्सिडी के लिए 1.26 करोड़ की लागत दिखा दी। करीब 44 लाख रुपए की सब्सिडी क्लेम होती। इन दोनों मामलों के उजागर होने के बाद अब जीएम डीआईसी ने सतर्क होकर 25 फर्मों के दस्तावेज आईएचएसडी को भेजे हैं। वहां से वेरीफिकेशन होगा कि दोनों दफ्तरों में दिए गए सर्टिफिकेट एकसमान ही हैं या नहीं।
कार्रवाई ऐसी हो कि नजीर बने
दोनों उद्योग संचालकों ने बहुत चतुराई से दो कार्यालयों को बेवकूफ बनाया। सरकार से लाखों रुपए की सब्सिडी हड़पने का खेल उजागर होने के बाद अब कार्रवाई का डर सता रहा है। यह कोई गलती नहीं बल्कि जानबूझकर की गई धोखाधड़ी है। इस मामले में अभी तक कार्रवाई का कोई प्रस्ताव नहीं दिया गया है। जिस सीए ने सर्टिफिकेट दिया, उस पर भी कार्रवाई हो सकती है। झूठा शपथ पत्र देना भी गंभीर मामला है।
क्या कहते हैं राठौर
हमने दोनों फर्मों के मामला सामने आने के बाद करीब 25 उद्योगों के आवेदन और दस्तावेज आईएचएसडी को भेजे हैं। वहां से जांच के बाद ही फाइल आगे बढ़ाएंगे : शिव राठौर, जीएम डीआईसी
