रायगढ़। रायगढ़ शहर के अंदर से भारी वाहनों की आवाजाही पूरी तरह से बंद करने के लिए बार-बार रिंग रोड की मांग होती रहती है। सवाल यह है कि जब दो बायपास सडक़ों का ही निर्माण नहीं हो पा रहा है तो रिंग रोड तो दूर की कौड़ी है। गोवर्धनपुर-उर्दना बायपास और बोंदाटिकरा बायपास कई सालों से जर्जर हालत में है। लंबे समय से रायगढ़ शहर से होकर भारी वाहनों के परिवहन पर रोक लगी है। दिन में किसी भी वाहन को शहर में प्रवेश की अनुमति नहीं मिलती। इसके लिए वाहनों को दो बायपास रोड से जाने को कहा जाता है। प्लांटों में कोयला पहुंचाने वाली गाडिय़ों को गोवर्धनपुर बायपास से होकर रामपुर, उर्दना जाना पड़ता है।
इसी तरह एनएच 200 से भी संस्कार स्कूल और बोंदाटिकरा पुल होते हुए मेडिकल कॉलेज रोड पर गाडिय़ां निकल सकती हैं। ये दोनों बायपास भारी वाहनों को देखते हुए ही बनाए गए थे, लेकिन वर्तमान में दोनों रूट को बायपास रोड कहना बेमानी है क्योंकि यहां रोड तो है ही नहीं। भारी वाहनों को इन सडक़ों से गुजरना मजबूरी है। सरकारी सिस्टम की लाचारी देखिए, इतने सालों में दोनों सडक़ों के लिए कोई प्रपोजल ही नहीं बना। इस वजह से दोनों सडक़ों की हालत जर्जर हो चुकी है। दोनों रोड पर दो-दो फुट के गड्ढे हो चुके हैं। फिर भी मजबूरी में भारी वाहन इन्हीं सडक़ों से निकलते हैं। कई वाहनों के एक्सल तक टूट जाते हैं। एमसीएल से आने वाले डंपरों को पूंजीपथरा जाने के लिए गोवर्धनपुर बायपास का सहारा लेना ही पड़ता है।
कई कॉलोनियों के लोग बेबस
गोवर्धनपुर में कई कॉलोनियों का काम चल रहा है। कुछ तो स्थापित हो चुकी हैं। ऐश्वर्यम अपार्टमेंट के सामने से ही रोड में बड़े-बड़े गड्डे हो चुके हैं। रोड बनाना तो दूर प्रशासन इसकी मरम्मत तक नहीं करता है। बोंदाटिकरा बायपास का भी यही हाल है। दोनों सडक़ों से रोज सैकड़ों भारी वाहन गुजरते हैं। न तो पीडब्ल्यूडी और न ही नगर निगम का ध्यान इस ओर है।
शालिनी स्कूल के सामने चौक में भी गड्ढा
पीडब्ल्यूडी ने शालिनी स्कूल तिराहे से इंदिरा विहार तक कांक्रीट रोड बनाई थी। तिराहे से बोईरदादर चौक भी रोड बनाई गई। तीनों तरफ की रोड बनाई गई लेकिन तिराहे को छोड़ दिया गया। अभी उस तिराहे पर बड़ा गड्ढा हो चुका है जिसमें कोल डस्ट जमा है। गाडिय़ों की आवाजाही से वहां आसपास हमेशा प्रदूषण होता है।
