रायगढ़, 6 मार्च। कौहाकुंडा को अतिक्रमण से बचाने के लिए कभी कोई प्रयास ही नहीं किया गया। ऐसा लग रहा है कि अधिकारी खुद ही अवैध कब्जे कराने में संलिप्त हैं। एक साल पहले कुछ रहवासियों ने एक महिला और उसके पति के नाम से सरकारी जमीन कब्जाने की शिकायत की थी। इसके बाद तो जैसे कौहाकुंडा में सरकारी जमीन गायब हो गई है। सभी खसरा नंबरों पर अतिक्रमण हो चुका है। शहर में सरकारी जमीनों पर सबसे ज्यादा अवैध कब्जे कौहाकुंडा में ही हैं। हाल के दो साल में वार्ड की पूरी तस्वीर बदल गई है। एक साल पहले रहवासियों ने दिव्या राजवाड़े और उसके पति प्रकाश राजवाड़े के खिलाफ अवैध कब्जे की शिकायत की थी।
करीब डेढ़ एकड़ सरकारी जमीन को घेरकर अतिक्रमण करने का आरोप लगाया गया था। इसके बाद नजूल विभाग ने जांच की लेकिन कार्रवाई शून्य है। इस शिकायत के बाद कम से कम 50 नए लोगों को वहां नजूल जमीनों के टुकड़े बेचे जा चुके हैं। अघोषित रूप से कौहाकुंडा में खसरा नंबर 47 रकबा 1.9270 हे., खनं 88/1 रकबा 1.3760 हे., खनं 90/3 रकबा 0.5630 हे., खनं 86/3 रकबा 0.4050, खनं 58/1/क रकबा 2.0720 हे., खनं 86/1 रकबा 3.5040 हे. समेत कई खसरा नंबरों में शासकीय जमीन को बेच दिया गया है। कोई रहवासी इसकी शिकायत नहीं करता क्योंकि एक का मकान टूटा तो सबको टूटेगा। हैरानी की बात यह है कि कभी भी यहां बची हुई शासकीय भूमि को सुरक्षित रखने के लिए कोशिश नहीं की गई। अभी भी रोजाना एक झोपड़ी बनाकर जमीन घेरी जा रही है।
पार्षद की चुप्पी पर सवाल
कौहाकुंडा में 20 एकड़ सरकारी जमीन पर तेजी से अतिक्रमण हो रहे हैं। एक साल पहले रहवासियों ने एक ही महिला की शिकायत की थी। जबकि यहां तो सौ से ज्यादा अवैध कब्जे हैं। इस बारे में पार्षद सपना सिदार ने कभी कोई शिकायत नहीं की। न ही अतिक्रमण को रोकने का कोई प्रयास किया। इससे पार्षद की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं।
बाल उद्यान बनाने की मांग
पार्षद सपना सिदार ने खनं 86/1 की शासकीय भूमि का आवंटन निगम को करने की मांग की थी। यहां बाल उद्यान बनाए जाने का प्रस्ताव रखा था। हालांकि बाकी जमीनों पर अवैध कब्जे को हटाने के लिए कोई पत्राचार नहीं हुआ। इस जमीन का आवंटन तो नहीं हुआ लेकिन अब अवैध कब्जे की बाढ़ सी आ गई है। निगम के प्रधानमंत्री आवास खाली पड़े हैं और सरकारी जमीनों पर लोग कब्जा कर रहे हैं।
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