रायगढ़, 9 जनवरी। छग और ओडिशा के बीच महानदी जल विवाद अब निपटारे के करीब है। बताश जा रहा है कि ट्रिब्यूनल ने एक बार और दोनों राज्यों की तकनीकी टीम से बैठक करने का आदेश दिया है। 16 जनवरी को यह बैठक रखी गई है। ओडिशा सरकार ने 2015 में महानदी में छग द्वारा बनाए जा रहे बैराजों पर आपत्ति जताते हुए केंद्र सरकार को पत्र लिखा था। वहां से कोई राहत नहीं मिली तो सुप्रीम कोर्ट में अपील की। अदालत के निर्देश पर केंद्र सरकार ने इस विवाद के निपटारे के लिए ट्रिब्यूनल का गठन किया था। अवधि समाप्त होने के बाद एक साल का समय विस्तार किया गया।












अब तक ट्रिब्यूनल ने दोनों राज्यों से अपने तर्कों को साबित करने के लिए तथ्य प्रस्तुत करने को कहा था। ओडिशा का कहना है कि बैराजों के कारण नॉन मानसून अवधि में महानदी में पानी का बहाव कम हो जाता है। छग के कारण ओडिशा के हजारों लोगों का जीवन प्रभावित हो रहा है। ट्रिब्यूनल ने कई बार दोनों राज्यों को आपस में बैठक करने को भी कहा था लेकिन निराकरण नहीं हो सका। महानदी बेसिन के इस विवाद को सुलझाने के लिए अब ट्रिब्यूनल दोनों राज्यों के तकनीकी टीम के साथ 16 जनवरी को बैठक करेगा। कार्यकाल समाप्त होने के पूर्व ट्रिब्यूनल कोई निर्णय देना चाहता है। अगली सुनवाई 8 फरवरी को है।





अब बैराजों का भविष्य तय होगा
इधर छग ने भी बैराजों से उद्योगों को आपूर्ति और पेयजल सप्लाई के कई प्रोजेक्ट को सहमति दी है। ट्रिब्यूनल के फैसले का प्रभाव इस पर भी पड़ेगा। रायगढ़ जिले में कलमा और साराडीह बैराज स्थित है। ओडिशा का कहना है कि छग ने 12 डैम और बैराज बनाए हैं, जिसकी वजह से महानदी में पानी कम हो गया है।



