वर्ष 21-22 में समितियों को सप्लाई पीडीएस बारदानों के भुगतान पर फंसा पेंच, करीब 27 लाख बारदानों का मामला
रायगढ़। पीडीएस बारदानों को लेकर एक बार फिर गड़बड़ी सामने आई है। पीडीएस दुकानों को समितियों से भुगतान किया जाना है। मार्कफेड कह रहा है कि उसने राशि समितियों को दे दी है। पीडीएस दुकानदारों का दावा है कि उन्होंने खाली बारदाने समितियों और डबल लॉक सेंटरों में भेजे, लेकिन समिति प्रबंधक कह रहे हैं, उन्हें बारदाने मिले ही नहीं। इसलिए दुकानों का भुगतान नहीं हो रहा है।












वर्ष 21-22 में समितियों को जारी किए गए मिलर बारदाने और पीडीएस बारदाने के हिसाब से भारी गोलमाल किया गया। पहले तो मिलरों को बचाने के लिए बारदानों की पूरी राशि समितियों के कमीशन से काट ली। इससे समिति को नुकसान हुआ लेकिन प्रबंधकों को व्यक्तिगत लाभ मिल गया। एक बार फिर से मामला फंस गया है। पीडीएस दुकानों से समितियों को सीधे भी बारदानों की आपूर्ति की गई थी। इसके बदले 25 रुपए प्रति बारदाना राशि मिलनी थी। दुकानों से मार्कफेड के गोदामों में भी बारदाने भेजे गए। धान खरीदी के बाद मिलान किया गया और जितने बोरे अतिरिक्त दिखे उसकी राशि काट ली गई। राशन दुकानों से जो बारदाने समितियों को भेजे गए थे, उनका भुगतान होना है।





रायगढ़ जिले में समितियों के गोदाम में करीब 8.18 लाख बारदाने भेजे गए थे। वहीं अप्रैल 2021 से फरवरी 2022 तक 19.53 लाख बारदाने मार्कफेड के गोदामों में पहुंचाए गए। अब इन बारदानों की राशि का भुगतान समितियों को करना है। मार्कफेड का कहना है कि करीब 18.75 रुपए प्रति बारदाने की दर से दो किश्तों में राशि समितियों को दी गई है। 6.25 रुपए प्रति बोरा की राशि बची हुई है। समितियों पर दबाव डाला जा रहा है कि वे जल्द से जल्द दुकानों को भुगतान करें। समिति प्रबंधकों का कहना है कि उनको बारदाने उतनी संख्या में नहीं मिले जितना बताया जा रहा है। इसलिए वे 25 रुपए की दर से भुगतान नहीं कर सकते। कई समितियों को आधी राशि भी नहीं मिली है।



बारदाने खुले बाजार में बेचे
सूत्रों के मुताबिक मार्कफेड के कई डबल लॉक सेंटरों में बारदानों की हेराफेरी की गई है। घरघोड़ा के गोदाम में बारदानों की कमी मिली है। मतलब जितने बारदाने आए, उतने समितियों में भेजे ही नहीं गए। रिकॉर्ड में दिखाया गया कि बारदाने भेजे गए। जबकि ये बोरे खुले बाजार में मिलरों को बेच दिए गए हैं।
