Skip to content

Home | पैसे लेकर बोरी से बोरी पलटी का चल रहा खेल, किसानों से लूट, कोचियों को छूट ! प्रबंधक और नोडल अधिकारी खुलकर उड़ा रहे है नियमों की धज्जियां

पैसे लेकर बोरी से बोरी पलटी का चल रहा खेल, किसानों से लूट, कोचियों को छूट ! प्रबंधक और नोडल अधिकारी खुलकर उड़ा रहे है नियमों की धज्जियां

सारंगढ़। किसानों के लिए धान उसकी संतान के समान प्रिय होता है। एक किसान महीनों मेहनत कर खून-पसीने सींचकर सूखा, पानी, रोग, कीट पतंगों से रक्षा कर अनाज उत्पादन करता है। महीनों मेहनत के बाद उसे एक बात की अपेक्षा रहती है किसी तरह उसका धान बिक जाए जिसके लिए सरकार ने बेहतरीन व्यवस्था धान उपार्जन केंद्रों में की है। छत्तीसगढ़ सरकार किसानों के हित के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। छत्तीसगढ में 25 लाख लोगों ने इस बार धान खरीदी के लिए रजिस्ट्रेशन किया है। सरकार के मुताबिक ये रजिस्ट्रेशन 29.42 लाख हेक्टेयर रकबे के लिए किया गया है। खरीदी की प्रक्रिया पूरी करने के लिए 2497 उपार्जन केंद्र बनाए गए हैं। सरकार के आदेश के मुताबिक सामान्य धान 2040 रुपए प्रति क्विंटल और ग्रेड-ए धान 2060 रुपये प्रति क्विटल में खरीदा जा रहा है।

सरकार के मंशा है कि किसानों को धान खरीदी केंद्र पर किसी भी तरह की दिक्कत का सामना न करना पड़े लेकिन शायद कुछ प्रबंधकों और शासन द्वारा नियुक्त नोडल को किसानों की परवाह नहीं। इसलिए अपनी जेब भरने के अलावा उन्हें किसी के समस्याओं से कोई सरोकार नहीं है और तो और शासन के नियम को भी तोड़ना मानो खिलवाड़ सा लगता है। हम बात कर रहे हैं-बरमकेला से लगे धान उपार्जन केंद्र लोधिया कि जहां प्रबंधक द्वारा प्रशासन के नियमों कि खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है और कलेक्टर द्वारा नियुक्त नोडल विभागीय काम के बहाने अनुपस्थित होकर प्रबंधक और धान कोचियों से आपसी सांठगांठ कर किसानों और सरकार को बट्टा लगाने का कोई कसर नहीं छोड़ा जा रहा। धान उपार्जन केंद्र लोधिया में प्रबंधक और नोडल द्वारा नमी और गुणवत्ता के नाम से किसानों को परेशान किया जा रहा है, नोडल तो उपार्जन केंद्र में घूमने जैसे आते हैं फिर विभागीय काम का बहाना बनाकर चले जाते हैं।

शिकायत पर मीडिया ने धान उपार्जन केंद्र जाकर देखा तो ना तो वहां प्रबंधक थे और ना ही नोडल अधिकारी। कुछ गरीब किसान धान डाल कर धान में बचे तिनकों की सफाई कर रहे हैं तो कुछ किसान बकायदा घर से लाए बोरी के धान को प्रबंधक द्वारा दिए बोरी में पलटी कर सीधे तौलाई के लिए तैयार कर रहे हैं। ना प्रबंधक और नोडल धान की नमी चेक कर रहे हैं, ना साफ-सफाई, ना ही अन्य मानक गुणवत्ता। जिनकी जिम्मेदारी सही किसान को चेक करना होता है, फिर नमी, क्वालिटी चेक करना। तीनों सही पाये जाने पर पंजीकृत रकबा चेक कर के हिसाब से ही बारदाना वितरण करना होता है। धान तौलाई करते समय वजन का निरीक्षण, बोरी की सिलाई के पश्चात् मोटा, पतला, सरना के, छल्ली डालने तक की विशेष निगरानी नोडल की होती है। लेकिन कुछ नोडल विभागीय काम का बहाना बनाकर हस्ताक्षर करके चलते बनते हैं। फड़ प्रभारी, प्रबंधक और हमालों को भी विशेष निर्देशित किया जाता है की कोई अधिकारी निरीक्षण करने आएं तो नोडल साहब अभी जस्ट विभागीय काम के लिए गये हैं फिर आ जाएंगे पाठ पढ़ाया जाता है।

क्या कहते हैं डीआर साहू
आपके माध्यम से मुझे जानकारी मिली हैं, मैं इस विषय में जल्द निष्पक्ष जांच कराउंगा, लापरवाही बरतने वाले कर्मचारी अधिकारी पर कठोर से कठोरतम कार्यवाही की जावेगी।