डीएमएफ में बड़ा घोटाला फूटा, घटिया मशीनों की खरीदी किसके आदेश पर हुई, कमीशनखोरी की हद
रायगढ़। रायगढ़ जिले में डिस्ट्रिक्ट मिनरल फंड में बड़ा घोटाला फूटा है। कृषि विभाग ने इस मद से जो मशीनें खरीदीं, उसकी चेकिंग तक नहीं हुई। बताया जा रहा है कि खरीदी करने के लिए फर्म के नाम पहले से तय कर दिए गए थे। डिलीवरी के बाद पेमेंट करने से पूर्व मशीनों की जांच की जानी थी, लेकिन डीडीए ने बिना जांच के ही सबके चेक काट दिए।
डीएमएफ से हर साल रायगढ़ जिले को औसतन 50 करोड़ रुपए मिलते हैं। इस राशि से कार्य कराने का अधिकार शासी परिषद को है जिसमें कलेक्टर के अलावा जनप्रतिनिधि भी होते हैं। सबकी मांग और सहमति से कार्यों के प्रस्ताव मंजूर किए जाते हैं। केवल परिषद की मंजूरी से ही राशि जारी कर दी जाती है। डीएमएफ से रुपए जारी करवाना बेहद आसान है क्योंकि यहां कार्य की विस्तृत रिपोर्ट बनती ही नहीं। मनमाने तरीके से काम मंजूर किए जाते हैं और खर्च करने के बाद उपयोगिता का कोई हिसाब नहीं होता। कृषि विभाग ने जिस तरह से डीएमएफ को निचोड़ा है, उतना किसी और विभाग ने नहीं। गौठानों में काम कर रही स्व सहायता समूहों को डिमांड नहीं होने के बावजूद रोटरी टिलर और मिनी पल्वेराइजर की सप्लाई की गई। दुर्ग-भिलाई की दो फर्मों को इसका ठेका दिया गया। जो जानकारी सामने आ रही है, उसके मुताबिक जेएम इंटरप्राइजेस (स्काई टेक) और अन्नभूमि ग्रीनटेक का नाम पहले तय किया गया। कृषि विभाग ने इन दोनों कंपनियों से ही 190 मशीनें खरीदने का आदेश बीज निगम को दिया। बीज निगम ने रेट कॉन्ट्रेक्ट के मुताबिक दोनों कंपनियों को ऑर्डर भी दे दिया। तब कृषि विभाग के प्रभारी उप संचालक संयुक्त कलेक्टर डिगेश पटेल थे। परचेस ऑर्डर जारी करने के बाद उन्हें हटाकर हरीश राठौर को डीडीए बनाया गया। 95 गौठानों में दोनों मशीनों की सप्लाई की गई है।
जिससे सेटिंग हुई, उसका नाम तय
कृषि उप संचालक ने 7 दिसंबर 2021 को नौ तहसीलों में 95 नग रोटरी टिलर 8 एचपी और 95 नग मिनी पल्वेराइजर 3 एचपी खरीदी का प्रस्ताव बनाया। प्रशासकीय स्वीकृति 14 दिसंबर 2021 को मिली। इसके बाद कृषि विभाग ने बीज निगम को बताया कि उन्हें किससे खरीदी करनी है। रेट कॉन्ट्रेक्ट भले ही बीज निगम से हुआ लेकिन यहां फर्म के नाम कृषि विभाग ने तय किए। स्काई टेक (जेएम इंटरप्राइजेस) से रोटरी टिलर और अन्नभूमि से पल्वेराइजर खरीदने का आदेश दिया गया। सूत्रों के मुताबिक दोनों फर्मों से बातचीत होने के बाद ही सबकुछ सेट किया गया। दो करोड़ की सामग्री खरीदी का आदेश दिया गया।
बिना जांच के भुगतान
दुर्ग-भिलाई की फर्म जेएम इंटरप्राइजेस को 95 नग रोटरी टिलर सप्लाई करनी थी। वहीं अन्नभूमि को 95 नग मिनी पल्वेराइजर भेजना था। गौठानों में डिलीवरी के बाद जांच होनी थी। मशीनों की गुणवत्ता सही होने पर ही भुगतान करना था लेकिन डीडीए हरीश राठौर ने एक भी मशीन की गुणवत्ता नहीं परखी। दोनों फर्मों को भुगतान जारी कर दिया। जबकि जिन मशीनों का आदेश दिया गया था, उनकी डिलीवरी ही नहीं हुई। किसी और कंपनी की मशीन सप्लाई कर दी गई। इनकी गुणवत्ता बेहद खराब है।
क्या कहते हैं राठौर
मेरे चार्ज लेने के पहले ही क्रय आदेश हो गया था। मशीनों में कोई गड़बड़ी है तो जांच करवाएंगे।
– हरीश राठौर, डीडीए
