रायगढ़ जिले में अब तक चार सौ मशीनों की सप्लाई का पता चला, कृषि विभाग और उद्यानिकी विभाग के जरिए कराई खरीदी
रायगढ़, 17 जनवरी। कृषि उपकरणों की खरीदी की आड़ में डीएमएफ की बंदरबांट के मामले में किशन एग्रोटेक का नाम सुर्खियों में है। अब तक केवल कृषि विभाग के जरिए ही गौठानों और स्व-सहायता समूहों को मशीनें खरीदकर देने की जानकाररी मिल रही थी। अब उद्यानिकी विभाग के माध्यम से भी मशीनें खरीदवाई गईं। हर बार एक ही फर्म किशन एग्रोटेक दुर्ग को ही सप्लाई का ठेका मिला।
रायगढ़ जिले में डिस्ट्रिक्ट मिनरल फंड के रूप में बड़ी सौगात मिली थी जो केवल कमीशनखोरी की भेंट चढ़ गई है। बीते तीन सालों में जिस तरह से इस राशि को खर्च किया गया, वह बेहद अफसोसजनक है। इस फंड को केवल लूटने का काम किया गया। पहले कृषि विभाग के माध्यम से गौठानों के लिए दिसंबर 2021 में 9 एचपी के रोटरी टिलर की खरीदी का ऑर्डर किया गया। करीब 95 रोटरी टिलर और इतने ही मिनी पल्वेराइजर की भी खरीदी का आदेश दिया गया। प्लानिंग के तहत छग राज्य बीज निगम को खरीदी का आदेश दिया गया।
इसी तरह उद्यानिकी विभाग में भी सौ गौठानों के लिए टिलर और इतने ही पल्वेराइजर खरीदी का आदेश जारी करवाया गया। दोनों ही विभागों को सप्लाई का ऑर्डर बीज निगम को देने के निर्देश दिए गए थे। इसलिए विभागों ने भी चुपचाप फाइल बीज निगम की ओर बढ़ा दी। किशन एग्रोटेक, लकी गैरेज, धमधा रोड दुर्ग नामक फर्म से रोटरी टिलर की खरीदी 99,960 रुपए की दर से की गई। इस फर्म के संचालक निकुलभाई मनुभाई पटेल हैं। टिलर का मॉडल नंबर कृषि क्राफ्ट केसी-आरटी-10कामा है जिसका निर्माण चाइना के चोंगक्विंग एम मशीनरी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट ने की है। मशीनों में निकुलभाई ने कृषि क्राफ्ट का लेबल लगाकर बेच दिया। कृषि क्राफ्ट कोई रजिस्टर्ड ब्रांड ही नहीं है। इस रेट पर कोई ब्रांडेड मशीन आ जाती।
पल्वेराइजर भी इसी तरह खरीदे
कृषि विभाग और उद्यानिकी विभाग को मिलाकर करीब 4 करोड़ की मशीनें खरीद ली गईं। पल्वेराइजर की खरीदी में भी बड़ी गड़बड़ी की गई। बीज निगम ने किसी भी किशन एग्रोटेक को सप्लाई का आदेश दिया लेकिन डिलीवरी जेएम इंटरप्राइजेस की मशीनें हुई। इन मशीनों की मांग नहीं की गई थी। अब यह मशीनें गौठानों में जंग खा रही हैं। मशीनें खरीदने के महीने भर में ही खराब होकर कबाड़ हो चुकी हैं। इसकी टेस्टिंग में भी कई खामियां मिली थी।
किसका वेंडर है किशन एग्रोटेक
बताया जा रहा है कि डीएमएफ में यह खेल बड़े अधिकारियों की देखरेख में हुआ है। करोड़ों की चाइनीज मशीनें खरीदकर भेज दी गई जबकि इसकी जरूरत ही नहीं थी। इसके लिए किशन एग्रोटेक को ही चुना गया। अधिकारी अगर चाहते तो जेम पोर्टल से या किसी ब्रांडेड कंपनी से निविदा मंगवाकर खरीदी करते, लेकिन किशन एग्रोटेक का चयन करने के पीछे बड़ा षडयंत्र रचा गया।
