रायगढ़। हिंदू धर्म के श्रद्धालुगण वैदिक काल से बड़ी श्रद्धा से महाशिवरात्रि पर्व को मनाते आ रहे हैं। मान्यता है कि महाशिवरात्रि पर्व के दिन जो भक्तगण पवित्र मन से भगवान शिव की जलाभिषेक पूजा आराधना, रुद्राभिषेक यज्ञ करते हैं उनकी सभी मनोकामना पूरी होती है। वहीं यह भी मान्यता है कि फागुन कृष्ण की चतुदर्शी तिथि को भगवान शिव और पार्वती का विवाह भी विवाह हुआ था तब से इस दिन को महाशिवरात्रि पर्व के रुप में मनाने की परंपरा चली आ रही है और इस महाशिवरात्रि महापर्व को मंगलकारी कहा गया है। पावन महाशिवरात्रि पर्व को बड़ी धूमधाम से शहरवासी भी मनाते आ रहे हैं आज शहर के सभी शिवालयों में भगवान शिव की वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूजा अर्चना हुई और समूचा अंचल ऊं नम: शिवाय के पवित्र मंत्र से गूंजित हो गया। वहीं भक्तों में अपार उत्साह रहा।
श्रद्धालुओं ने किया जलाभिषेक
पावन महाशिवरात्रि पर्व की खुशी शहर के श्रद्धालुओं में देखते ही बनी गौरीशंकर मंदिर, निकले महादेव, केवड़ा बाड़ी शिवालय, चक्रधर नगर, पहाड़ मंदिर, भोलेनाथ मंदिर सहित सभी शिवालयों में भक्तगण हाथों में जल लेकर और भगवान शिव के पवित्र फल – फूल विल्व पत्र, पंचगव्य भोग के साथ पंचाक्षरी मंत्र ऊं नम: शिवाय मंत्र का जाप करते हुए विधिवत पूजा अर्चना किए। वहीं शिवालयों में सुबह से रात तक भक्तों का रेला लगा रहा।
कुंवारी कन्याओं ने की विशेष पूजा
मान्यता है कि महाशिवरात्रि पर्व में भगवान भोलेनाथ का विवाह माता पार्वती से फाल्गुन माह की कृष्ण चतुर्दशी तिथि को हुआ था इसलिए कुंवारी कन्याएं इस दिन अच्छे वर की प्राप्ति व दाम्पत्य जीवन को सुखमय बनाने के लिए कठोर व्रत संकल्प का पालन करते हुए रात में रतजगा करते हुए पवित्र मंत्र ऊं नम: शिवाय के जाप के साथ विधिवत पूजा अर्चना करती हैं। वहीं आज महाशिवरात्रि के दिन शहर की कुंवारी कन्याएं धार्मिक नियमों का पालन करते हुए पंडितों के सान्निध्य में अपने घर में पूजा अर्चना कीं।
महामृत्युंजय मंत्र जप का महत्व
भय से छुटकारा पाने के लिए 1100 मंत्र का जप किया जाता है। रोगों से मुक्ति के लिए 11000 मंत्रों का जप किया जाता है। पुत्र की प्राप्ति के लिए, उन्नति के लिए, अकाल मृत्यु से बचने के लिए सवा लाख की संख्या में मंत्र जप करना अनिवार्य है। यदि साधक पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ यह साधना करें, तो वांछित फल की प्राप्ति की प्रबल संभावना रहती है साथ ही रुद्राभिषेक करने से ग्रह दोष शांत होते हैं।भगवान आशुतोष को त्रयम्बकं यानी कि त्रिनेत्रधारी कहा जाता है। वहीं पं निरंजन दुबे ने बताया कि मान्यता के अनुसार वे अपनी तीसरी आंख का प्रयोग तब करते हैं जब सृष्टि का विनाश करना हो। पर सभी नहीं जानते कि उनके तीसरे नेत्र का प्राकट्य कैसे हुआ? इसका रहस्य बहुत ही गहरा है। महाभारत के छठे खण्ड के अनुशासन पर्व में बताया गया है पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार नारद जी भगवान शिव और माता पार्वती के बीच हुए बातचीत को बताते हैं। इसी बातचीत में त्रिनेत्र का रहस्य छुपा हुआ है। उन्होंने बताया कि एक बार भगवान शिव हिमालय पर एक सभा कर रहे थे, जिसमे सभी देवी- देवता, ऋ षि मुनि, व सिद्ध ज्ञानीजन शामिल थे। तभी सभा में माता पार्वती आयी और उन्होंने अपने मनोरंजन के लिए अपने दोनों हाथों से भगवान शिव के दोनों आंखों को ढंक दिया।
जैसे ही माता ने भगवान के दोनों आंखों को ढंका पूरे संसार में घुप्प अंधेरा छा गया। ऐसा लगा जैसे सूर्यदेव का कोई अस्तित्व ही नहीं है। इसके बाद पृथ्वी में मौजद सभी जीव जंतुओं में खलबली मच गयी। जो अपने नेत्रों से सारे संसार को देख रहे हैं उन्हीं के नेत्र यदि बन्द हो जाये तो क्या होगा। संसार की यह दशा भगवान शिव से सही न गई और उन्होंने अपने माथे पर एक ज्योतिपुंज प्रकट किया , जो भगवान शिव की तीसरी आंख बनी। बाद में पूछने पर माता पार्वती को शिव जी ने बताया कि यदि वह ऐसा नहीं करते तो सारे संसार का विनाश हो जाता, क्योंकि उनकी आंखें ही जगत की पालनहार हैं।
भरत कूप में भव्य भजन संध्या व महाआरती
भरत कूप मंदिर के पुजारी कमल शर्मा के मार्गदर्शन में भव्यता से जलाभिषेक पूजा अर्चना व महाआरती हुई। मंदिर में पूजा अर्चना करने सुबह से रात तक श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लगी रही। वहीं शाम को पांच बजे से भजन संध्या का भव्य आयोजन रॉक स्टार विजय सिंह ग्रुप के कलाकारों ने किया जिसका शहरवासियों ने देर रात तक लुत्फ उठाया। कार्यक्रम के पश्चात सभी कलाकारों का सम्मान किया गया।
रुद्राभिषेक यज्ञ का आयोजन
बाबा के भक्तों नेअपने घर में व योग्य पंडितों के सान्निध्य में अपनी मनोरथ पूरी करने के लिए भगवान शिव का वैदिक मंत्रोच्चार के साथ रुद्राभिषेक यज्ञ का आयोजन किया।
भगवान शिव की निकली बारात
भव्य बाजे गाजे व मधुर भजन और आतिशबाजी के साथ गौरीशंकर मंदिर से जीवंत झांकियों के साथ भगवान शिव की बारात गौरी कला समिति के सभी सदस्यों के मार्गदर्शन में निकाली। वहीं पूर्व विधायक विजय अग्रवाल ने भगवान शिव की पूजा अर्चना कर बारात को रवाना किया। फिर बग्गी में सवार होकर भगवान शिव निकले। इसी तरह भगवान शिव के बाराती बन श्रद्धालुगण मधुर भजन व डीजे के धुन में मस्त भाव विभोर होकर झूमे। वहीं बारात में शामिल भूत – प्रेत की बनी झांकी हर किसी के लिए आकर्षण का केन्द्र रहा और शहर के हर चौक चौराहों में भगवान शिव की पूजा अर्चना की गई। वहीं भगवान शिव की बारात पूरे शहर का परिभ्रमण करते हुए भगवान शिव की बारात पुन: मंदिर पहुंची और पूजा अर्चना की गई। इसके पश्चात भक्तों को प्रसाद वितरण किया गया।
मंत्रोच्चारण से गून्जित हुआ शहर
महाशिवरात्रि पर्व की खुशी शहर के सभी शिवालयों में रही वहीं श्रद्धालुओं ने महाशिवरात्रि पर्व को मनाया व श्रद्धा से प्रसाद वितरण भी किया गया। वहीं गौरीशंकर मंदिर में भी पूजा अर्चना हुई और चौबीस घंटे तक अखंड ऊं नम: शिवाय मंत्र का जाप चलता रहा । इसी तरह निकले महादेव मंदिर में पं धीरज शर्मा के मार्गदर्शन में महाशिवरात्रि पर्व मनाया गया और विधिवत ढंग से चार पहर भगवान शिव की आराधना पूजा की गई । इसके बाद प्रसाद वितरण हुआ। इसी तरह शहर के राजीव नगर कोतरारोड के श्रीसिद्धपीठ महामृत्युंजय मंदिर के ज्योतिषी व अनुष्ठानकर्ता पं प्रीतिरंजन दाश के सानिध्य में चार पहर भगवान शिव की विधिवत पूजा अर्चना हुई। वहीं सुबह से रात तक मधुर भजनों के गीत व ऊं नम: शिवाय के पवित्र मंत्र से समूचा अंचल गुंजायमान रहा। इसी तरह पंडरीपानी श्री महालक्ष्मी मंदिर में आचार्य पं रविभूषण शास्त्री के सानिध्य में पूजा अर्चना हुई।
बाबा सत्यनारायण धाम में पर्व की रही धूम
राज्य प्रसिद्ध बाबा सत्यनारायण धाम कोसमनारा में हर वर्ष समिति के सदस्यों व शहर के श्रद्धालुओं द्वारा महाशिवरात्रि पर्व को बड़ी श्रद्धा से मनाने की परंपरा चली आ रही है। इस बार भी यहां 25 वर्ष होने की खुशी में भव्यता के साथ मनाया गया और श्रद्धा का माहौल रहा। जहां हजारों भक्तों ने भगवान शिव में जलाभिषेक कर पूजा-अर्चना दर्शन कर पुण्य के भागी बनें।इसी तरह बाबा धाम में भक्तों के लिए अच्छी व्यवस्था की गई जो सुबह से रात तक चलता रहेगा व रात में भजन कीर्तन का भी आयोजन किया गया, जिसका भक्तगण देर रात तक आनंद लिया। वहीं बाबाधाम समिति के सभी श्रद्धालुगण भव्यता देने में जुटे रहे।
जगह-जगह हुआ महाभंडारा
महाशिवरात्रि पर्व की खुशी में आज शहर के अनेक शिवालयों व स्थानों में भगवान शिव के भक्तों ने पूजा अर्चना के बाद महाभंडारा का आयोजन किया, जहां हजारों लोग प्रसाद ग्रहण कर पुण्य के भागी बने। वहीं रात में अनेक स्थानों में भजन संध्या का आयोजन किया गया। जिसका श्रद्धालुओं ने आनंद लिया।







