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Raigarh News : शासकीय आवंटन भूमि को भी टुकड़ों में बेचने का खेल

नवापाली में एसडीएम ने दिए जांच के आदेश, अमित रतेरिया के नाम पर कैसे आई जमीन

रायगढ़। मेडिकल कॉलेज रोड पर जमीन खरीदी-बिक्री के एक सौदे ने माहौल गरमा दिया है। इस जमीन के रिकॉर्ड को लेकर कई संदेह उत्पन्न हो गए हैं। यह भूमि शासकीय आवंटन की होने का अनुमान है। ऐसी भूमि की खरीदी-बिक्री नहीं की जा सकती।

मेडिकल कॉलेज रोड में नावापाली पुसौर स्थित खसरा नंबर 32/6 का कुल रकबा 1.3670 हे. है। यह भूमि स्व. दयाराम चौहान को शासन ने आवंटित की थी। भुइयां में देखने पर अब यह जमीन आलोक इन्फोटेक अमित रतेरिया के नाम पर दर्शा रहा है। यही नहीं इसमें से 0.6090 हे. भूमि का नामांतरण लंबित बताया जा रहा है। कुछ दिनों सहनीराम पिता दयाराम चौहान ने धोखे से जमीन हड़पने की शिकायत की थी। जिस पर एसडीएम ने जांच के आदेश दिए हैं। यह जमीन झारसुगड़ा निवासी प्रतिमा संजय जैन को बेचने की जानकारी सामने आ रही है।

मिली जानकारी के मुताबिक नावापाली में कई लोगों को शासन ने जमीनें आवंटित की थी। रोड किनारे होने के कारण इन जमीनों पर अब कई जमीन कारोबारियों की नजर पड़ चुकी है। नावापाली के खसरा नंबर 32/6 की पूरी भूमि शासकीय आवंटन से प्राप्त हो सकती है। सवाल यह उठ रहा है कि आवंटन भूमि की रजिस्ट्री कैसे हो गई। यहीं पर मामला पकड़ में आ गया है। बिना रजिस्ट्री के केवल उत्तराधिकारी का नाम ही चढ़ सकता है। अगर मूल भूमि की रजिस्ट्री के दस्तावेज नहीं मिले तो क्या यह संभव है कि बिना रजिस्ट्री के ही भूमि पर अपना नाम चढ़वा लिया गया हो। कोटवारी जमीनें हड़पने वाले के लिए ऐसा करना कोई बड़ी बात नहीं है।

रिकॉर्ड दुरुस्ती के पहले पटवारी ने नहीं देखा
सहनीराम चौहान का कहना है कि उसके पिता ने कभी जमीन बेची नहीं तो अमित रतेरिया के नाम कैसे चढ़ गई। शासकीय आवंटन भूमि की खरीदी-बिक्री के लिए बिक्री नकल कैसे हासिल हो गई। जब खसरा नंबर 32/6 रकबा 1.3670 हे. पर ऑनलाइन में अमित रतेरिया का नाम पटवारी ने लिखा तो इसका अधिकार अभिलेख क्यों नहीं देखा गया। पुसौर तहसील में जमीनों की हेराफेरी का यह एक छोटा सा मामला है। रजिस्ट्री में 13 पेड़ दिखाने का मामला तो इस घपले के सामने कुछ भी नहीं है।