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Home | Raigarh News : पूर्व कलेक्टर ने कराई थी जांच, कहां गायब हुई नेपियर घास, घोटालों के लिए मशहूर हो रहा है रायगढ़, गोठानों में घास उगाने के लिए किए 20 लाख रुपए खर्च

Raigarh News : पूर्व कलेक्टर ने कराई थी जांच, कहां गायब हुई नेपियर घास, घोटालों के लिए मशहूर हो रहा है रायगढ़, गोठानों में घास उगाने के लिए किए 20 लाख रुपए खर्च

रायगढ़। रायगढ़ का डीएमएफ फंड एक तरह से नोट छापने की टकसाल बन चुका है। जिस अफसर को जहां कुछ गुंजाइश दिखी, वहां खर्च कर दिया। बिना दूरदर्शिता के ही डीएमएफ की राशि को खर्च कर दिया गया। उसी में से एक काम हाईब्रिड नेपियर ग्रास रूट की खरीदी का मामला है। गोठानों में मवेशी नहीं हैं लेकिन घास उगाने के लिए 20 लाख रुपए उड़ा दिए गए। बताया जा रहा है कि तत्कालीन कलेक्टर ने इसकी जांच कराई थी जिसे दबा दिया गया।

खनिज संपदा का दोहन करने वाली कंपनियां राजस्व का एक हिस्सा प्रभावित जिले को देती हैं। इस राशि से खनन प्रभावित क्षेत्र में विकास कार्य किए जाने हैं। रायगढ़ जिले में खनन प्रभावितों को उनका हक नहीं दिया जाता बल्कि उस राशि को ऐसे कामों में खर्च किया जा रहा है जहां आसानी से बंदरबांट हो सके। भूतपूर्व कलेक्टर भीमसिंह ने 389 गोठानों में नेपियर रूट खरीदकर लगाने का आदेश दिया था। इसके लिए पशु चिकित्सा सेवाएं विभाग के पूर्व उप संचालक रामहृदय पांडे को डीएमएफ से 22,21,968 रुपए स्वीकृत किए गए थे। इसमें से 19,99,771 रुपए दिए जा चुके हैं। विभाग का दावा है कि राशि से 150 गोठानों में नेपियर रूट खरीदा जा चुका है। हालांकि वर्तमान में इन गोठानों में नेपियर घास मिलेगी ही नहीं। उप संचालक आरएच पांडेय ने इस राशि को 150 गोठान संचालन समिति को बांट दी जिन्होंने विभाग के ही आदेश पर भिलाई की एक फर्म शरण साइलेज फाम्र्स प्रालि को भुगतान कर दिया। इसकी जांच कराने का आदेश तत्कालीन कलेक्टर भीमसिंह ने दिया था। गठित जांच टीम ने क्या पाया और क्या कार्रवाई हुई, यह अभी तक रहस्य है।

एक ही फर्म को कैसे भुगतान
इस मामले में सबसे बड़ा सवाल यह है कि धरमजयगढ़ के गांवों में गोठान समिति को भिलाई की शरण साइलेज फाम्र्स का पता किसने दिया। हैरानी की बात यह है कि पूरे जिले से सभी गोठानों ने इसी फर्म को भुगतान किया है। पशु चिकित्सा सेवाएं के पूर्व उप संचालक आरएच पांडे और उनके मातहतों ने ही यह चमत्कार किया। हकीकत यह है कि अब इस घास का नामोनिशान गोठानों में नहीं मिलेगा। डेढ़ रुपए की दर से रूट या स्टेम खरीदी की गई। सूत्रों के मुताबिक बिलिंग और डिलीवरी में जमीन आसमान का फर्क है।

क्या कहते हैं अधिकारी
हमने सभी गोठानों से नेपियर रूट की खरीदी कराई थी। तत्कालीन कलेक्टर ने सत्यापन का आदेश भी दिया था।
– आरएच पांडे, पूर्व उप संचालक पशु चिकित्सा सेवाएं

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