सी-मार्ट के संचालन का ठेका चंद्र मेडिकल एजेंसी को मिला था, जिंदल स्टील से निर्माण कराने का हुआ था निर्णय
रायगढ़। कई बार अधिकारी अपनी जिद में ऐसे निर्णय कर जाते हैं जो न तो व्यवहारिक रूप से सही होता है और न ही सैद्धांतिक रूप से। सी-मार्ट को और भी बड़े स्तर पर ले जाने के लिए एक बड़े कॉम्पलेक्स का रूप देने का निर्णय हुआ। इसके लिए जगह का चयन भी कर लिया गया जो डिग्री कॉलेज रोड पर सरकारी आवासों के बीच थी। टेंडर भी जारी कर दिया गया। अब ठेकेदार ने काम शुरू करने के बारे में पूछा तो पता चला कि काम ही निरस्त हो गया है।
सी-मार्ट के लिए प्रशासन को शहर के अंदर ही एक बड़ी जमीन की जरूरत थी जहां शॉपिंग मॉल की तरह निर्माण होना था। वर्तमान में नटवर स्कूल के किनारे स्थित झारा शिल्प एम्पोरियम की जगह पर सी-मार्ट संचालित हो रहा है। डिग्री कॉलेज के पहले रोड में दाहिने ओर करीब पांच हजार वर्गफुट जमीन का चयन किया गया। इसमें कई विशाल वृक्ष भी लगे हुए थे। सी-मार्ट बनाने का टेंडर होने से पहले ही पेड़ों की कटाई भी शुरू करवा दी गई। करीब 20 हरे-भरे पेड़ काट दिए गए। इसका निर्माण पूरा होने के पहले ही संचालन का ठेका घनश्याम अग्रवाल को दे दिया गया। अब उसने काम शुरू करने के बारे में उद्योग विभाग से पूछा तो पता चला कि काम ही निरस्त करने की तैयारी कर ली गई है। सी-मार्ट के निर्माण के लिए सीएसआर की राशि फूंकने की तैयारी की गई थी।





सौ रुपए प्रतिमाह था किराया
प्रशासन ने जेएसपीएल को सीएसआर के तहत फैब्रिकेटेड बिल्डिंग बनाने का काम दिया था। हैरत की बात है कि बिना निर्माण हुए, बिना जमीन खाली किए ठेका दे दिया गया। इस भवन को सौ रुपए किराए पर चंद्र मेडिकल एजेंसी को दिया जाना था। ग्रामीण क्षेत्रों के उत्पादों को यहां बेचने के लिए सही मैनूजमेंट करने का काम एजेंसी का था। प्रोजेक्ट के बंद होने के पीछे कारण अफसरों की जल्दबाजी थी।
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