रायगढ़। पिछले तीन सालों में डीएमएफ को जिस तरह से निचोड़ा गया है, उससे भ्रष्टाचार के सारे रिकॉर्ड टूट गए हैं। महिला एवं बाल विकास विभाग को सरकार ने जितना फंड नहीं दिया उससे ज्यादा तो डीएमएफ से दे दिया गया। कलेक्टर रानू साहू ने कार्यभार ग्रहण करने के बाद महिला एवं बाल विकास विभाग को सुपोषण अभियान के लिए दी गई राशि को रोक दिया है। बताया जा रहा है कि इसमें भारी गड़बड़ी की जानकारी उन्हें मिली थी।
सरकार ने खनिजों से प्राप्त राजस्व में से एक हिस्सा संबंधित जिलों के लिए रखने का प्रावधान किया। इसे खर्च करने का अधिकार भी शासी परिषद को दिया जिसमें कलेक्टर और स्थानीय प्रतिनिधि होते हैं। उम्मीद थी कि जरूरत और मांग के हिसाब से उचित कार्यों में राशि खर्च की जाएगी, लेकिन बीते तीन सालों में पूरा सिस्टम ध्वस्त हो गया। मनमाने तरीके से कार्यों को स्वीकृति देना, जीरो मॉनिटरिंग वाले कामों को प्राथमिकता, अधोसंरचना विकास के बजाय सामग्री क्रय करने में डीएमएफ को झोंक दिया गया। सबसे ज्यादा खरीदी में ही डीएमएफ को खर्च किया गया। ऐसे ही एक काम पर कलेक्टर रानू साहू की नजर अटक गई जब उन्होंने रायगढ़ में कार्यभार संभाला।
पूर्व कलेक्टर ने महिला एवं बाल विकास विभाग को 10,96,35,346 रुपए की एकमुश्त स्वीकृति दी थी। एक ही बार में करीब 11 करोड़ की स्वीकृति दिया जाना ही संदेह पैदा करता है। इस राशि से 22-23 में मुख्यमंत्री सुपोषण योजना पर व्यय किया जाना था। छह माह से तीन वर्ष, 3-6 वर्ष के कुपोषित बच्चों के अलावा गर्भवती माताओं पर 9,29,35,346 रुपए खर्च किए जाने थे। वहीं प्रचार, मॉनिटरिंग, प्रशिक्षण, बाल संदर्भ, दवाई आदि के लिए 70 लाख और रागी लड्डू पर 97 लाख रुपए खर्च करने का प्रावधान किया गया। यह प्रस्ताव ही इतना संदेहास्पद था कि कलेक्टर ने इसे रोक दिया। पहली किश्त के 3,28,90,603 रुपए विभाग को दे दिए गए थे, लेकिन यह राशि वापस मांगी गई। महिला एवं बाल विकास विभाग ने 2,12,92,343 रुपए वापस कर दिए।
डीएमएफ की सबसे ज्यादा बर्बादी इसी विभाग में
कभी रागी लड्डू के नाम पर तो कभी अंडा खिलाने के नाम पर महिला एवं बाल विकास विभाग ने डीएमएफ को लूटा है। स्व सहायता समूहों से निर्मित रेडी टू ईट में भ्रष्टाचार के कई आरोप लगे। आंगनबाडिय़ों में बच्चों व गर्भवती माताओं के लिए भोजन में गड़बड़ी की गई। जितनी राशि पिछले पांच सालों में विभाग को मिले हैं, उतने में एक भी बच्चा कुपोषित नहीं रहना था। लेकिन अभी भी फंड दिया जा रहा है।
एक पाई नहीं छोड़ी थी
सूत्रों के मुताबिक कलेक्टर रानू साहू ने ज्वाइनिंग के बाद सभी विभागों की समीक्षा की। डीएमएफ की जब समीक्षा की गई तो पता चला कि 22-23 में प्राप्त राशि के हिसाब से सारे कार्य स्वीकृत कर दिए गए हैं। पूर्व कलेक्टर के कार्यकाल में ही 22-23 की राशि को खर्च करने का मसौदा पास कर दिया गया था। एक भी पाई नहीं छोड़ी गई थी। इसलिए कई कामों का फंड रोक दिया गया है। इसमें एकमुश्त 11 करोड़ रुपए महिला एवं बाल विकास को देने का प्रस्ताव था, जो अब अटक गया है।
