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Home | Raigarh News : स्वच्छ भारत मिशन की राशि फूंकी गौठानों में, कहीं शीट नहीं लगी तो कहीं दरवाजा ही गायब, व्यक्तिगत शौचालयों के नाम की राशि गौठानों में कैसे हुई खर्च

Raigarh News : स्वच्छ भारत मिशन की राशि फूंकी गौठानों में, कहीं शीट नहीं लगी तो कहीं दरवाजा ही गायब, व्यक्तिगत शौचालयों के नाम की राशि गौठानों में कैसे हुई खर्च

रायगढ़। गोठानों को सफल बनाने के दावे किए जा रहे हैं। हकीकत उससे कोसों दूर है। सच यह है कि सरकार ने कई मदों और योजनाओं की राशि गौठानों में घुसा दी। गुणवत्ताहीन काम ने उस फंड को भी डुबा दिया। स्वच्छ भारत मिशन से गौठानों में शौचालयों को निर्माण किया गया था। किसी में शीट नहीं लगी है तो कहीं दरवाजा गायब है। कहीं तो शौचालय की छत ही नहीं है।

गांव-गांव गौठान खोलने के पीछे जो उद्देश्य था वह अब तक पूरा नहीं हो सका है। पूरी योजना बेपटरी हो चुकी है। गौठानों में जिस तरह से पानी की तरह पैसा बहाया गया है, उसका आउटपुट नहीं मिल रहा है। रायगढ़ जिले के गौठानों में मनरेगा, स्वच्छ भारत मिशन और डीएमएफ की राशि मनमाने तरीके से उड़ाई गई। जब कहीं से कोई बात नहीं बनी तो डीएमएफ का खजाना खोल दिया गया। केवल और केवल सामग्री सप्लाई का काम ही किया गया। अब स्वच्छ भारत मिशन के तहत भी गौठानों में गड़बड़ी सामने आई है। गौठानों में शौचालय निर्माण के लिए 12 हजार रुपए प्रति यूनिट सहायता दी गई।

वर्ष 19-20 से ही एसबीएम से राशि आवंटित की गई। शौचालयों के निर्माण एजेंसी ग्राम पंचायत को बनाया गया। सरपंचों ने शौचालय ऐसे बनाए हैं कि दो साल में यह खंडहर जैसे लगने लगे हैं। किसी में शीट नहीं बैठाई गई है तो किसी में दरवाजा ही गायब है। कहीं-कहीं तो छत ही उड़ गई है। एक-दो नहीं तकरीबन सारे गौठानों में यही हाल है। गौठानों में एसबीएम की राशि से बेहद घटिया स्तर का काम हुआ है। ये शौचालय अनुपयोगी हो चुके हैं।

मल्टीएक्टिविटी के खोखले दावे
कई गौठानों में जाकर देखा गया तो वहां एक भी एक्टिविटी ठीक से नहीं पाई गई। हर गौठान में वर्मी कम्पोस्ट भंडारण के लिए शेड बनाया गया है। इसमें एक बोरा भी तैयार कम्पोस्ट नहीं है। दरअसल गौठानों में वर्मी कम्पोस्ट है ही नहीं। गोबर को टांका में भरा गया था लेकिन यह कम्पोस्ट नहीं बन सका क्योंकि किसी को वास्तविक वर्मी कम्पोस्ट की विधि ही नहीं मालूम। मुर्गी शेड बनाने में भी एक से दो लाख रुपए व्यय किए गए हैं। एक-दो गौठानों को छोडक़र कोई भी मुर्गी पालन नहीं कर रहा। इन शेड में अब कबाड़ जैसा सामान रखा हुआ मिलता है।