एनआईसी के किसान एकीकृत पोर्टल में गड़बड़ी जस की तस, पंजीयन का काम खरीदी खत्म होते तक चलेगा
रायगढ़। एक तरफ शासन ने धान खरीदी का शुभारंभ कर दिया है, वहीं दूसरी तरफ गांवों का रकबा ही जीरो हो गया है। पंजीयन की अंतिम तारीख गुजरने के बाद भी एनआईसीइसे ठीक नहीं कर पाया है। रायगढ़ जिले में करीब 70 गांवों का रकबा जीरो दिखा रहा है। किसान पंजीयन का काम दो सालों से एकीकृत किसान पोर्टल के जरिए हो रहा है। कृषि विभाग को इसका नोडल बनाया गया है, जिसे कभी पंजीयन का काम ठीक से आया ही नहीं। इधर राजस्व विभाग से गांवों का डाटा भी लेकर मर्ज किया गया। पिछले साल भी गांव गायब हो गए थे। कई गांवों का रकबा जीरो हो गया था। इस बार भी कुछ ऐसा ही हाल है।
पंजीयन का काम 31 अक्टूबर को खत्म हो जाना था। हर किसान का हर गांव का डाटा पोर्टल में सही-सही दिखना था। अभी ऐसी स्थिति है कि रायगढ़ जिले के करीब 70 गांवों का रकबा जीरो हो गया है। पंजीयन के लिए किसान जब पहुंच रहा है तो गांव का रकबा ही नहीं दिख रहा है। मजबूरी में किसान वापस जा रहे हैं। ऐसे में टोकन काटना तो नामुमकिन है। इधर धान खरीदी प्रारंभ हो गई है। गांवों की मैपिंग के दौरान एनआईसी ने गड़बड़ी की है। कोई गांव दूर के किसी समिति में नजर आ रहा है। हर तहसील में ऐसी ही स्थिति है। मंगलवार को धान खरीदी के बीच ऐसी ही कई समस्याएं सामने आई हैं। इसकी कोई जवाबदेही नहीं ले रहा क्योंकि सबकुछ रायपुर में बैठे टेक्निकल एक्सपर्ट कर रहे हैं।
पहले दिन केवल 90 क्विंटल खरीदी
रायगढ़ जिले में पहले दिन पांच किसानों से तीन केंद्रों में 89 क्विंटल धान खरीदा गया। हालांकि टोकन तो 114 क्विं. का कटा था। कोंड़ातराई, चपले और कापू में धान खरीदी की गई। सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले में 106 क्विं. धान खरीदी की गई। अभी धान कटा ही नहीं है। जहां कटाई हो गई है वहां नमी अधिक है। इसलिए बताया जा रहा है कि 15 नवंबर के बाद ही धान आएगा।
