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Raigarh News : तहसीलदार ने दिया था दूसरी ऋण पुस्तिका का आदेश, फिर फर्जी कैसे

टीआई कोतवाली को कहा था कि मूल प्रति अर्पित मेहता से लेकर जमा करवाएं, अब मूल भूमि स्वामी ही भुगत रहा सजा, राजस्व विवादों का निपटारा भी अब पुलिस ही करेगी

रायगढ़। अब राजस्व मामलों का समाधान भी राजस्व न्यायालयों के बजाय पुलिस थानों में होगा। जगतपुर के मामले में कोतवाली पुलिस की कार्रवाई से ऐसा ही लग रहा है। तहसीलदार ने टीआई को दूसरी ऋण पुस्तिका जिससे जब्त करने का आदेश दिया था, उसी की शिकायत पर मूल भूमि स्वामी को ही गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया है।

यह दिलचस्प मामला बताता है कि पुलिसिंग का फोकस किस चीज पर हो गया है। स्टेशन चौक पेट्रोल पंप संचालक अजीत मेहता ने कोतवाली में शिकायत की थी। उसका आरोप है कि वार्ड नंबर 4 अंतर्गत जगतपुर पटवारी हल्का नंबर 48 के खसरा नंबर 5/2, 12/3ख, रकबा 0.3440 हे., खनं. 5/3 रकबा 1.0960 हे. और खनं 8 रकबा 0.0570 हे. कुल रकबा 1.497 हे. भूमि को वर्ष 2019 में वसीयत निष्पादित करके पीलाराम निवासी गढ़उमरिया से भूमिस्वामी हक प्राप्त किया था। इससे पहले पीलाराम ने अर्पित मेहता के नाम से 30 साल के लिए लीज में जमीन दी थी। अजीत मेहता का आरोप है कि लीज तथा वसियत के विरुद्ध पीलाराम के पुत्र मकसिरो तथा दोनों पुत्री देवमती तथा उरकुली ने ऋण पुस्तिका गुम होने का फर्जी हलफनामा देकर दूसरी किसान किताब जारी करवाई थी। इस शिकायत पर टीआई कोतवाली ने मकसिरो को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।

हैरत की बात यह है कि जमीन पर जिस उत्तराधिकारी का स्वाभाविक हक है, वह जेल पहुंच गया और लीजधारक उस पर जमीन हड़पने का आरोप लगा रहा है। इस मामले में तहसीलदार रायगढ़ का 6 जून 2022 का आदेश भी सामने आया है। इस आदेश के मुताबिक वादग्रस्त भूमि की ऋण पुस्तिका अर्पित मेहता के पास है, इसलिए मकसिरो को दूसरी ऋण पुस्तिका प्रदान की गई थी। अब सवाल यह उठता है कि सबकुछ मालूम होते हुए भी राजस्व नियमों के तहत तहसीलदार ने आदेश किया था तो पुलिस ने किस नियम के हवाले से भूमिस्वामी की गिरफ्तारी की। तहसीलदार ने जब शपथ पत्र को फर्जी नहीं माना तो उसे पुलिस ने कैसे झूठा मान लिया।

टीआई को दिया था आदेश
दरअसल लीज के बाद किसान किताब अर्पित मेहता के पास थी। मकसिरो ने यही कारण बताते हुए तहसील में दूसरी प्रति के लिए आवेदन किया था, तब तहसीलदार ने टीआई कोतवाली को आदेश दिया था कि दूसरी प्रति अर्पित मेहता से जब्त कर न्यायालय में प्रस्तुत करें। अब इसका उल्टा ही हो गया है। पुलिस ने ऋण पुस्तिका जब्त करने के बजाय भूमिस्वामी को ही गिरफ्तार कर लिया।

राजस्व अभिलेखों में किसका नाम?
पुलिस की इस कार्रवाई पर इसलिए भी सवाल उठ रहे हैं क्योंकि गिरफ्तारी के पहले राजस्व अभिलेख नहीं देखे गए। पिता की संपत्ति पर संतान का स्वाभाविक अधिकार होता है। इन जमीनों का रिकॉर्ड देखने पर पता चला कि यह मकसिरो, देवमती और उरकुली के नाम पर ही है। भुइयां में जमीन के मालिक यही तीनों हैं। अगर अजीत मेहता ने वसीयत करवा ली थी तो रिकॉर्ड में नाम क्यों नहीं चढ़वा पाए। जमीन विवाद के मामले में पुलिस ने सभी एंगल से जांच किए बिना ही हाथ डाल दिया है।