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Home | Strawberry Farming in Chhattisgarh : चावल के बाद अब छत्तीसगढ़ की ‘स्ट्रॉबेरी खायेगा इंडिया, देश में होगी स्ट्रॉबेरी की सप्लाई, 2 महीनों में लगाए गए 50 हजार से अधिक पौधे

Strawberry Farming in Chhattisgarh : चावल के बाद अब छत्तीसगढ़ की ‘स्ट्रॉबेरी खायेगा इंडिया, देश में होगी स्ट्रॉबेरी की सप्लाई, 2 महीनों में लगाए गए 50 हजार से अधिक पौधे

Jashpur।  छत्तीसगढ़ राज्य को मुख्यतः चावल की खेती के लिए जाना जाता है। इसलिए इसे “मध्य भारत का चावल का कटोरा” कहा जाता है। यह भारत के सबसे बड़े कृषि उत्पादक राज्यों में छठे स्थान पर है। इस क्षेत्र की मुख्य फसलें चावल, मक्का और कुछ अन्य बाजरा जैसे तिलहन, और मूंगफली आदि हैं। छत्तीसगढ़ में, चावल मुख्य फसल यानी चावल पूरे क्षेत्र में लगभग 77 प्रतिशत बोया जाता है।

छत्तीसगढ़ के चावल न सिर्फ देश बल्कि विदेशों में भी अपनी पहचान बनाते है। मगर अब न केवल छत्तीसगढ़ का चावल, बल्कि यहाँ का स्ट्रॉबेरी (Strawberry) भी पूरा देश खाएगा। अब आप सोंच रहे होंगे कि ऐसा कैसे हो सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि जशपुर के बगीचा विकासखंड में पड़े पैमाने में इसकी खेती करनी शुरू की जा चुकी हैं। पिछले करीब दो महीनों में यहाँ 50 हजार से अधिक स्ट्रॉबेरी के पौधे लगाए गए है, जिसमें अब फल आने भी शुरू हो गए है। यही वजह है कि यहां की स्ट्रॉबेरी की पूरे देश में सप्लाई होगी। वैसे स्ट्रॉबेरी के अलावा इस क्षेत्र की लिची भी अपने आप में काफी प्रसिद्ध है।

25 किसानों को दिए गए हैं Strawberry के पौधे

इसी साल 22 सितंबर को जशपुर के 6 गांव के 25 किसानों को पौधों का वितरण किया गया था। इससे पहले वर्ष 2018 में बगीचा विकासखंड के ग्राम सन्ना में प्रयोग के तौर पर 2 एकड़ में स्ट्रॉबेरी की खेती प्रयोग के तौर पर हुई थी। दूसरी बार प्रयोग के तौर पर 5 गांव में स्ट्रॉबेरी लगवाई गई। अनुकूल जलवायु होने की वजह से उत्पादन पहले भी बेहतर हुआ था और अभी पाठ इलाके के अन्य इलाकों में भी बेहतर फल आ रहे हैं। बता दें कि हर एक किसान को 2 हजार पौधे दिए गए थे।

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