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Raigarh News : स्टील प्लांटों को मिला ऑक्सीजन, अब विदेशी कोयले के भरोसे रहना नहीं पड़ेगा

रायगढ़। कोयला नहीं मिलने से परेशान करीब 600 उद्योगों को अब राहत मिल गई है। साउथ ईस्टर्न कोलफिल्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) ने 33 लाख टन कोयले का ई-ऑक्शन किया है। डिलीवरी ऑर्डर (डीओ) जारी किया गया है। इसके बाद कुसमुंडा खदान के रोड सेल से उद्योगपति कोयला उठा सकेंगे। गेवरा, दीपका खदान में ई-ऑक्शन की राह खुलने की संभावना है। कोरोना काल के बाद उद्योगों के पूर्ण क्षमता से चालू होने व विदेश से आयात कम होने पर कोयले की मांग बढ़ गई थी। पर्याप्त कोयला नहीं मिलने की वजह से उद्योगों के संचालन में भी दिक्कत आ रही थी। स्थिति में कुछ सुधार होता, इसके पहले वर्षा शुरू हो गई और एसईसीएल की खदानों में कोयले का उत्पादन घट गया।

अब स्थिति सामान्य हुई है, इसके साथ ही खदानों में कोयला उत्पादन बढ़ने लगा है। एसईसीएल ने विद्युत संयंत्रों के साथ उद्योगों को भी कोयला देना शुरू कर दिया है। उद्योगों में कोयला देने के लिए ई-ऑक्शन की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। अब उद्योगों को पर्याप्त मात्रा में कोयला मिलने की उम्मीद है। ऐसी स्थिति में उद्योगों की कोयले की कमी से आने वाली परेशानी दूर हो जाएगी। साथ ही उद्योगों का उत्पादन भी बढ़ेगा। यहां बताना होगा कि मार्च के बाद से एसईसीएल से कोयला मिलना बंद होने पर उद्योगों का उत्पादन 50 प्रतिशत तक घट गया।

जनसंपर्क अधिकारी सनिष चंद्र का कहना है कि जल्द ही डीओ जारी किया जाएगा। कोयला आपूर्ति को लेकर लिंकेज की अवधि बढाने की मांग कोयला मंत्रालय से उद्योगपतियों ने की थी। छत्तीसगढ स्पंज आयरन एसोसिएशन के प्रतिनिधिमंडल ने कोयला मंत्रालय में वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात कर पर्याप्त कोयला आपूर्ति करने व लिंकेज की अवधि बढ़ाने की मांग रखी थी। लिंकेज की अवधि बढ़ाने पर कोयला मंत्रालय ने कुछ नहीं कहा, लेकिन उद्योगपतियों को आश्वस्त किया कि कोयले की कमी नहीं होगी। कोयला अब पर्याप्त मात्रा में मिलने से उद्योगों को बड़ी राहत मिलेगी।

प्रोडक्शन में 19 प्रतिशत की वृद्धि
पिछले साल की तुलना में इस साल नवंबर में एसईसीएल ने खनन में 19.4 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी दर्ज की है। गेवरा, दीपका व कुसमुंडा समेत अन्य खदानों से 146 लाख टन कोयला उत्पादन हुआ है। पिछले साल इसी अवधि में 122 लाख टन उत्पादन हुआ था। खनन के साथ परिवहन में भी थोड़ी तेजी आई है। नवंबर में 139 लाख टन कोयला रैक व सड़क मार्ग से भेजा गया। पिछले साल इसी अवधि में 134 लाख टन परिवहन हुआ था।

सीपीपी के 250 उद्योगों को भी मिलेगा कोयला
गैर बिजली सेक्टर को कोयला आपूर्ति बंद किए जाने की वजह से राज्य में स्पंज आयरन, स्टील उद्योग, रि-रोलिंग मिलों के सामने कोयले का संकट था ही। कैप्टिव पॉवर प्लांट (सीपीपी) के सामने भी कोयले की अनुपलब्धता बनी हुई थी। ई-ऑक्शन की राह खुलने से प्रदेश के करीब 250 सीपीपी संयंत्रों को भी अब कोयला मिल सकेगा। वर्तमान में रूस व साउथ अफ्रीका से कोयला आ रहा है।

सस्ता होगा स्टील
उद्योगपतियों का कहना है कि उन्हें घरेलू कोयला मिलना शुरू हुआ, तो स्टील की कीमतें आने वाले दिनों में पांच हजार रुपए प्रति टन तक सस्ती हो जाएगी। उपभोक्ताओं के लिए इसे काफी राहत भरा कहा जा सकता है।