रायगढ़, 24 जनवरी। हाथी प्रभावित क्षेत्र में सुरक्षा का काम वन विभाग का है। ग्रामीणों को सतर्क करने से लेकर संसाधनों के लिए भारी फंड आता है। इसके बावजूद डीएमएफ की राशि फूंकी गई है। छह लाख के हाईबीम टॉर्च खरीद लिए गए और पेट्रोलिंग के लिए भी 16 लाख रुपए उड़ा दिए। रायगढ़ और धरमजयगढ़ वनमंडल में राशि आवंटित की गई थी रायगढ़ जिले में खनिजों से प्राप्त भारी भरकम राजस्व को खर्च करने के बजाय बंदरबांट में ज्यादा दिमाग लगाया जाता है। ऐसे कामों में डीएमएफ की राशि खर्च की जाती है, जिसकी पड़ताल करनी मुश्किल हो। पिछले चार सालों में तो डीएमएफ का अंधाधुंध दोहन कर लिया गया है।
हाथी प्रभावित क्षेत्रों के लिए केंद्र और राज्य सरकार फंड जारी करती है। इसके बावजूद डीएमएफ से राशि जारी की गई। वर्ष 19-20 में रायगढ़ वनमंडल को हाथी प्रभावित क्षेत्रों के लिए 18.55 लाख रुपए की मंजूरी दी गई थी। इसमें से तीन लाख के हाई बीम टॉर्च खरीदे गए। वन्य प्राणी से सुरक्षा और पेट्रोलिंग में आठ लाख खर्च हुए। यही नहीं हाथी व्यवहार के संबंध में ग्रामीणों को जागरूक करने ट्रेनिंग दी गई जिसमें साढ़े चार लाख रुपए व्यय हुए। इसके अलावा हाथी मित्र दल को मानदेय के नाम पर 3.05 लाख दिए गए। धरमजयगढ़ वनमंडल में भी 18.55 लाख रुपए की मंजूरी दी गई थी।
हाथी प्रभावित क्षेत्रों में खर्च का कोई हिसाब नहीं
हाथी प्रभावित क्षेत्रों के नाम पर जंगलों में मनमाने खर्च होता है। इसकी मॉनिटरिंग और जांच नहीं की जाती इसलिए भ्रष्टाचार की कोई सीमा नहीं होती। इसके बावजूद हाथी आबादी के नजदीक पहुंच जाते हैं। धरमजयगढ़ वनमंडल में भी डीएमएफ से 18.55 लाख रुपए की स्वीकृति दी गई थी। यहां भी रायगढ़ की तरह ही खर्च किए गए। मतलब दोनों वनमंडलों में 19-20 में छह लाख की हाई बीम टॉर्च खरीदी गई। हाथी मित्र दल को छह लाख रुपए दिए गए।
