रायगढ़। ऐसा लगता है कि रायगढ़ की सडक़ों से शासन को कोई सरोकार ही नहीं है। कई महीनों से पूंजीपथरा-मिलूपारा रोड का काम इसलिए अटका है क्योंकि शासन स्तर पर स्वीकृति और वर्क ऑर्डर रुका है। अब बताया जा रहा है कि इसका टेंडर फाइनल हो चुका है। लेकिन वर्क ऑर्डर ही नहीं हो सका है। एनजीटी ने पूंजीपथरा से मिलूपारा रोड की खराब हालत के कारण पीडब्ल्यूडी प्रमुख सचिव पर एक करोड़ का जुर्माना लगाया है। इसके बावजूद सरकार ने रोड प्रोजेक्ट को गंभीरता से नहीं लिया है। पूंजीपथरा तमनार से मिलूपारा 23 किमी रोड की हालत बहुत ज्यादा खराब है। भारी वाहनों के कारण इस पर चलना दूभर हो चुका है। इस रोड के लिए 62 करोड़ की स्वीकृति दी गई थी। पहली बार टेंडर हुआ तो रायगढ़ के ही ठेकेदार बजरंग अग्रवाल ने ठेका लिया लेकिन एग्रीमेंट नहीं करवाया। उनको रोड में ज्यादा लागत आने की आशंका हुई तो काम ही नहीं किया। इसके बाद ईई पीडब्ल्यूडी ने कार्रवाई के लिए पत्र लिखा था। कई महीनों तक मामला ऐसे ही लटका रहा। पांच महीने पहले फिर से टेंडर किया गया। तब दो कंपनियों में खींचतान के कारण टेंडर फाइनल ही नहीं किया जा सका। अब कहा जा रहा है कि इसका ठेका कोरबा के शांति इंजीकॉन को मिला है लेकिन वर्क ऑर्डर का पता नहीं है। नवंबर से तो रोड का काम तेजी से चलता है। लेकिन अब पीडब्ल्यूडी के अधिकारी वर्क ऑर्डर का इंतजार कर रहे हैं।
कई लोग गंवा चुके हैं जान
घरघोड़ा से धरमजयगढ़, रायगढ़ से घरघोड़ा, पूंजीपथरा से मिलूपारा, पत्थलगांव रोड के कारण कई लोग जान गंवा चुके हैं। इसके बाद भी अब तक सरकार ने ठोस कदम नहीं उठाए हैं। प्रस्ताव बनने और स्वीकृति के बीच करीब एक साल का समय गुजर जाता है। इसके बाद टेंडर में छह महीने और निकल जाता है। इसलिए रोड के काम समय पर शुरू ही नहीं होते।
