रायगढ़। एसईसीएल माइंस में पूरी व्यवस्था फेल हो चुकी है। उत्पादित कोयले के ग्रेड को लेकर जो भी अफरा-तफरी की जा रही है, उसका फायदा ट्रेडर्स को पहुंचाया जा रहा है। इसीलिए इनके बीच गैंगवार की स्थिति बन गई है। कुछ महीनों तक शांति रहने के बाद जामपाली में फिर से खूनखराबा होने लगा है। ट्रांसपोर्टरों ने जामपाली माइंस में हमेशा से एकाधिकार करना चाहा है। इसमें एसईसीएल प्रबंधन भी खुलकर कुछ लोगों का साथ दे रहा है। इसकी वजह हाल में जारी हुए डीओ हैं।
जामपाली में ब्लास्टिंग के बाद निकला हाई ग्रेड का कोयला भी लो ग्रेड के डीओ में मिल रहा है। ट्रांसपोर्टरों के बीच दो दिन पहले हुई चाकूबाजी भी इसी का परिणाम है। दरअसल हाल के दिनों में जामपाली में ट्रेडर्स के डीओ सबसे ज्यादा हैं। ट्रेडर्स को जी-15 ग्रेड का कोयला उठाना है लेकिन माइंस में सेटिंग करके अच्छे ग्रेड का कोयला उठाते हैं। माइंस के सब एरिया और नोडल मिलकर इस काम को अंजाम देते हैं। ये दोनों कुछ चुने हुए ट्रांसपोर्टरों को ही फायदा पहुंचाते हैं। इनके बीच समझौता हुआ है। जिस दिन उनके सेटिंग वाले ट्रांसपोर्टर का डीओ होता है, उसके पहले रात को ब्लास्टिंग कोयला डंप किया जाता है।
यह भी जी-15 ग्रेड के पास ही डाला जाता है ताकि सुबह से जल्दी उठाव हो जाए। जब तक किसी को मामला समझ में आता है तब तक कोयला डिस्पैच हो जाता है। इसीलिए अब ट्रांसपोर्टरों के बीच वैमनस्य बढ़ता जा रहा है। जामपाली माइंस में आने वाले दिनों में कोई बड़ी घटना घट सकती है।
पुलिस के सामने पहुंच गए थे सौ लड़ाके
गुरुवार को चाकूबाजी के बाद जामपाली माइंस के बाहर तनावपूर्ण माहौल था। बताया जा रहा है कि दूसरे पक्ष ने भी करीब सौ लोगों को बुलवा लिया था। गुरुवार को कोई बड़ी अनहोनी हो सकती थी। पुलिस के सामने ही फसाद करने की तैयारी हो गई थी। इसकी वजह जामपाली माइंस में हो रही मनमानी है। ट्रेडर्स से सांठगांठ के कारण क्षेत्र में अशांति है।
