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Home | Raigarh News : मोटा धान के डीओ में मिल रहा सरना.. 15 रुपए प्रति क्विंटल की अवैध कमाई, समितियों में भी राईस मिलरों की डायरेक्ट सेटिंग, एक समिति में खाद्य विभाग ने पकड़ा था मामला

Raigarh News : मोटा धान के डीओ में मिल रहा सरना.. 15 रुपए प्रति क्विंटल की अवैध कमाई, समितियों में भी राईस मिलरों की डायरेक्ट सेटिंग, एक समिति में खाद्य विभाग ने पकड़ा था मामला

रायगढ़, 15 जनवरी। राइस मिलरों और समितियों के बीच गठजोड़ का एक बड़ा मामला सामने आ रहा है। मोटा और सरना धान की खरीदी का अनुपात तय किया गया है। दोनों की कीमत एकसमान है लेकिन राईस मिलर मोटे धान के डीओ में सरना का उठाव कर रहे हैं। इसके लिए 15 रुपए प्रति क्विंटल तक की अवैध वसूली भी हो रही है। धान खरीदी में एक से एक गड़बड़ी की जाती है। खरीदी के अंतिम दिनों में जबर्दस्त खेल होता है। अब मोटा धान और सरना को लेकर सेटिंग हो रही है। खाद्य विभाग ने नवापारा ब में कार्रवाई की थी जिसमें प्रबंधकों और राइस मिलरों की सांठगांठ भी सामने आई है। सरकार ने दोनों किस्मों के धान की कीमत एक समान 2040 रुपए प्रति क्विंटल तय की है।

किसानों को दोनों धान के लिए बराबर राशि मिलती है। समिति में खरीदी के दौरान राइस मिलर सरना धान ज्यादा से ज्यादा पाने के लिए सांठगांठ कर रहे हैं। राइस मिलर को मोटा धान और सरना धान का अनुपात तय कर डीओ दिया जाता है। समिति प्रबंधक से सेटिंग कर मोटे धान के डीओ में भी सरना ले लिया जाता है। इसके लिए प्रबंधक खरीदी के दौरान ही मोटा धान के खाते में सरना की खरीदी और स्टेकिंग कर लेते हैं, मिलरों को सरना धान में ज्यादा लाभ होता है लेकिन इस वजह से मोटा धान की खरीदी कम हो जाती है। कई समितियों में यह खेल चल रहा है। प्रबंधक इसके बदले 15 रुपए प्रति क्विंटल तक अवैध कमाई करता है।

सरना में टूटन कम इसलिए मांग ज्यादा

सरकार को मोटे धान और सरना दोनों की जरूरत होती है। पीडीएस दुकानों में मोटा धान का चावल ज्यादा भेजा जाता है। सरना में ब्रोकन या टूटन कम आती है इसलिए राइस मिलर ज्यादा से ज्यादा इस धान के जुगाड़ में लगे रहते हैं। इस सांठगांठ के कारण उपार्जन केंद्रों में अनुपात गड़बड़ा जाता है।

बिना टैक्स दिए धान की बेतहाशा खरीदी

कई समितियों में खरीदी से कम धान है। वहीं राइस मिलों में भी स्टॉक में गड़बड़ी है। मिलरों ने किसानों और कोचियों से अतिरिक्त धान खरीदी शुरू कर दी है। अंतिम में समिति में शॉर्टेज आने पर यही धान समितियों को बेचा जाना है। कई समितियों से अभी से सेटिंग हो चुकी है। धान का उठाव भौतिक रूप से हुए बिना ही मिलरों के एकाउंट में उठाव दर्ज हो रहा है। मतलब समिति में बोगस खरीदी की एंट्री हो रही है और इधर राइस मिलर धान खरीद रहा है। धान खरीदने के लिए मिलरों को मंडी टैक्स देना अनिवार्य है। जो नहीं दिया जाता।