रायगढ़। जतरी समिति में गबन के मामले में सहकारिता विभाग बैकफुट में आ गया है। इतने सालों तक जिस प्रबंधक को बचाया, अब उसके सरंक्षण के लिए अजीबोगरीब आदेश निकाले जा रहे हैं। 70 लाख दबाने वाले प्रबंधक के विरुद्ध एफआईआर और वसूली के दो अलग-अलग आदेश जारी किए गए हैं। जतरी समिति में 70 लाख रुपए का गबन सामने आया है। करीब सात साल से यह राशि समिति से वसूली ही नहीं गई और एक ही प्रबंधक काबिज रहा। सबसे समिति के मैनेजर बालकृष्ण पटेल ने सात सालों से 70 लाख रुपए की रकम दबाकर रखी है। मामला एक जनवरी 2016 से 30 जून 2020 के बीच का है। किसानों से नगद वसूली की राशि, खाद विक्रय की राशि और कृषक सदस्यों से वसूली गई हिस्सा राशि को अपेक्स बैंक में जमा ही नहीं किया गया। यह रकम प्रबंधक बालकृष्ण पटेल ने किसानों से वसूली लेकिन बैंक में जमा नहीं की।
जांच की गई तो 70.77 लाख रुपए की रिकवरी निकली। इस राशि को वसूलने में अपेक्स बैंक के पसीने छूट गए हैं। इसमें किसानों ने नगद वसूली के 63.11 लाख, खाद नगद विक्रय का 7.04 लाख और कृषक सदस्यों से लिए गए 61 हजार रुपए शामिल हैं। अब इस मामले में नया ट्विस्ट आ गया है। बैंक ने जैसे ही सहकारिता विभाग वसूली और ऑडिट के लिए लिखा तो वहां से दो आदेश निकल गए। एक आदेश अपेक्स बैंक के ओएसडी को भेजा गया जिसमें गबन पर एफआईआर दर्ज करने को कहा गया। वहीं एक आदेश अपेक्स बैंक पुसौर के शाखा प्रबंधक को दिया गया। इसमें कहा गया कि वे जतरी समिति से रिकवरी करें। दोनों आदेश एक साथ देने वाले डीआरसीएस ने गेम खेल दिया है।
स्पेशल ऑडिट नहीं करवा रहे
अपेक्स बैंक की ओर से करीब 25 समितियों का स्पेशल ऑडिट कराने का आदेश दिया गया है। इसमें जतरी का भी नाम है। दरअसल एफआईआर दर्ज कराने के लिए ऑडिट रिपोर्ट जरूरी होती है। ऑडिट के बिना ही एफआईआर का आदेश दिए जाने के पीछे मंशा साफ नहीं है। बैंक के 70 लाख रुपए दबाकर बैठने वाले को बचाने के लिए कई तरह की चालें चली जा रही हैं।
