रायगढ़, 6 दिसंबर। सहारा इंडिय़ा के निवेशकों ने अपनी जमापूंजी को हर हाल में पाने के लिए लड़ाई तेज कर दी है। मेच्योरिटी रिफंड की आस में फिर कलेक्ट्रेट पहुंचे सहारा पीडि़तों ने कलेक्टर के नाम अपर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपते हुए पुलिस को प्रतिवेदन भेजवाने की मांग की है। सहारा से बेसहारा हुए निवेशकों के सब्र का बांध अब फूटने लगा है, क्योंकि जिला और पुलिस प्रशासन के चक्कर लगाने के बाद भी उनको न्याय के नाम केवल आश्वासन का झुनझुना ही थमा दिया जा रहा है।
यही कारण है कि मंगलवार को सहारा पीडि़तों ने जनदर्शन में जिलाधीश श्रीमती रानू साहू के नाम अपर कलेक्टर संतन देवी जांगड़े को ज्ञापन सौंपा। ज्ञात हो कि निवेशक इसके पहले भी कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर सहारा इंडिय़ा के खिलाफ पुलिस में प्रथम सूचना दर्ज करने की मांग कर चुके हैं। यही नहीं, कलेक्टर के निर्देश के बाद सिटी कोतवाली में सहारा के विरूद्ध प्रथम सूचना भी दर्ज की गई, मगर तहसीलदार को दिये गये जांच कर आहुत के मामले में उन्होंने पुलिस को प्रतिवेदन नहीं दिया है। इससे खाताधारकों ने फिर कलेक्टर के नाम ज्ञापन सौंपकर जांच प्रतिवेदन पुलिस को भेजवाने की पुरजोर वकालत की है, ताकि खाताधारकों को उनकी जमा पूंजी वापस मिल सके।
सहारा मामले में सबसे खास बात यह है कि खाताधारकों की मांग पर डिप्टी कलेक्टर ने पूर्व में तहसीलदार को जांच कर उचित प्रतिवेदन आहूत करने का निर्देश दिया था। इसमें सहारा इंडिया को तहसीलदार ने विधिवत नोटिस भेजते हुए पक्षकारों का बयान दर्ज किया और मामले में सुनवाई भी की थी। सुनवाई उपरांत तहसीलदार ने प्रतिवेदन डिप्टी कलेक्टर के पास भेज भी दिया था मगर उन्होंने प्रतिवेदन वापस तहसीलदार को भेज दिया। जबकि पुलिस के हिसाब से मामले में प्रतिवेदन के बिना अन्वेषण की अग्रिम कार्रवाई नहीं हो पा रही है।
जनदर्शन में आवेदन देने वाले सहारा पीडि़तों में विकास निगानिया, बिहारी राजपूत, रविशंकर दुबे, नरेश कुमार गुप्ता, धरनीधर बाजपेई, योगेश कुकरेजा, कमलेश कुकरेजा, सोनू तलरेजा, सुनील केडिय़ा, कमल खुशलानी, नारायण अग्रवाल, सुरेंद्र केडिय़ा और छायालता तिवारी शामिल थे।
