निवेशक से धोखाधड़ी के मामले में एफआईआर दर्ज होने के बाद डीके कोर्ट में लगायी गई थी याचिका
रायगढ़। निवेश करने के नाम पर सहारा इंडिया का नाम लेते हुए सोसायटी के खाते में रकम जमा कराने और मेच्योरिटी तिथि पूरी होने के बाद भुगतान न करते हुए धोखाधड़ी करने के मामले में जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत ने आज सहारा इंडिया के सेक्टर मैनेजर अमृत श्रीवास की ओर से दायर की गई अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया है।
सहारा इंडिया के झांसे में आकर जिले केे हजारों निवेशकों ने अपने पैसे जमा किये हैं मगर अब उनका भुगतान नहीं हो रहा है। ऐसे ही एक मामले में विभिन्न स्क्रीमों में निवेशक से 40 लाख रुपये जमा लेने के बाद मेच्योरिटी डेट पूरी होने के बाद भी भुगतान नहीं करने के मामले में कोतवाली पुलिस ने पिछले दिनों सहारा इंडिया सोसायटी कंपनी के डायरेक्टर डीके अवस्थी, मैनेजर कुलदीप पांडेय, अमृत श्रीवास, एके चंद्रा सहित अन्य के खिलाफ भादवि की धारा 420, 120 बी और 4, 5, 6 छग के निक्षेपकों का संरक्षण अधिनियम के तहत जुर्म दर्ज कर लिया था।
जिसके बाद इस मामले में आरोपी सेक्टर मैनेजर अमृत श्रीवास ने गत 30 सितंबर को जिला एवं सत्र न्यायाधीश रजनीश श्रीवास्तव की कोर्ट में अपने अधिवक्ता सीताराम जाटवर के माध्यम से अग्रिम जमानत के लिए याचिका दायर किया था। आवेदक की ओर से प्रस्तुत आवेदन में जमानत के लिए यह आधार लिये कि उसे थाना कोतवाली द्वारा पंजीबद्ध अपराध में युक्तियुक्त गिरफ्तार किये जाने की संभावना समाचार पत्र में सहारा इंडिया के खिलाफ पहली एफआईआर होने की खबर पढ़ने से हुई है।
वह निर्दोष है और उसे गलत आरोप में फंसाया जा रहा है। वह सहारा कंपनी का न तो डायरेक्टर है और न ही चेयरमेन है। वह केवल कमीशन पर रोजगार का कार्य उस कंपनी में करते आ रहा है। उसे 2018 में मैनेजर के रूप में ६-६ माह के लिए नियुक्त किया गया है और वह सैलेरी बेसिस पर कार्य करता है। जबकि दूसरी ओर इस मामले में शिकायत कर्ता विकास कुमार निगानिया ने स्वयं उपस्थित होकर 24 दस्तावेजों के साथ लिखित आपत्ति दर्ज करायी। ऐसे में दोनों पक्षों के तर्कों को सुनने के बाद आखिरकार डीजे कोर्ट ने सेक्टर मैनेजर अमृत श्रीवास के अग्रिम जमानत आवेदन को रिजेक्ट कर दिया है। इस प्रकरण में शासन की ओर से विशेष लोक अभियोजक दीपक शर्मा ने पैरवी की।
