पिछले छह महीने से एक जैसे पैटर्न पर चल रहा रेलवे, यात्रियों की कट रही हैं जेबें
रायगढ़। ट्रेनों की चाल और रेलवे के फरमान से रेल यात्री परेशान हैं। खासकर बिना सूचना ट्रेनों के कैंसिल करने के निर्णय से आमजनों का सफर काफी प्रभावित हुआ है। इसके अलावा एक बड़ी बात और सामने आ रही है। ट्रेनें कैंसिल होने की स्थिति में बुकिंग काउंटर से रेलवे पूरा रिफंड तो दे रहा है मगर ई-टिकट वालों के कन्वेशन शुल्क नहीं दे रहा है। इससे ई-टिकट वालों की जेबें कट रही हैं।
पिछले 5-6 महीने से एक ही पैटर्न की पटरी रेलवे चलता रहा है। कभी भी ट्रेनें थोक में कैंसिल कर देना। अगस्त और सितंबर की ही बात करें तो रायपुर और बिलासपुर डिवीजन से होकर आने-जाने वाली 250 से ज्यादा लोकल, एक्सप्रेस, मेल और सुपरफास्ट ट्रेनें कैंसिल की गई। हिमगिर ब्लॉक से तो 62 ट्रेनें और नागपुर लाइन ब्लॉक से 58 ट्रेनें दो सप्ताह के भीतर ही रद्द कर दी गई। इसमें हावड़ा-मुंबई रूट पर चलने वाली अधिकांश प्रमुख एक्सप्रेस ट्रेनें शामिल थी।
रेलवे के अनुसार ट्रेन कैंसिल होने पर एक ट्रेन एक फेरे में 1600 से 1800 यात्री प्रभावित होते हैं। इस तरह अब तक 500 से अधिक यात्री ट्रेनें कैंसिल कर देने में रेलवे देर नहीं लगाया। ऐसे में यदि 66 फेरे नवरात्र जैसे पर्व के समय ट्रेनें कैंसिल हुई तो करीब दो लाख यात्रियों का टिकट कैंसिल हुआ। इनमें से 70 से 80 फीसदी यात्री ई-टिकट के होते हैं क्योंकि काउंटरों से रिजर्वेशन टिकट बनने का आंकड़ा पिछले तीन-चार सालों से 20 से 30 प्रतिशत ही रह गया है। क्योंकि रेलवे का सबसे अधिक जोर ई-टिकट को बढ़ावा देने का ही रहा है।
दर्ज कराई गई है आपत्तियां
इस मामले में छत्तीसगढ़ नागरिक संघर्ष समिति ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है। समिति का कहना है कि अचानक किसी दुर्घटना की वजहों से ट्रेनें कैंसिल कर देना तो समझ आता है, परंतु रेलवे ब्लॉक के नाम पर लाखों यात्रियों के साथ धोखा कर रहा है। यह साफ है कि ब्लॉक पूरी प्लानिंग के बाद ही घोषित होता है, फिर भी यात्रियों को अंधेरे में रखने का खेल जारी है। कन्वेंशन फीस के नाम पर आरक्षित टिकटों से काटी गई राशि रेलवे रिफंड करे।
