लैलूंगा में धान घोटाले में पुलिस ने मुख्य बिचौलिए को किया गिरफ्तार, पत्थलगांव अपेक्स बैंक ब्रांच के पूर्व बीएम और एक लेखाधिकारी
रायगढ़। लैलूंगा में धान घोटाले में अब एक-एक कर सारे आरोपी पकड़ में आते जा रहे हैं। पुलिस ने मुख्य बिचौलिए राहुल अग्रवाल पिता सुनील अग्रवाल को गिरफ्तार कर लिया है। अब अपेक्स बैंक के दो अधिकारियों पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है। लैलूंगा, बीरसिंघा और राजपुर समिति में किसानों के रकबे में फर्जी बढ़ोतरी कर धान खरीदी की गई थी। वर्ष 21-22 में राजपुर समिति में किसान पंजीयन के दौरान किसानों के वास्तविक रकबे के स्थान पर 71.34 हेक्टेयर फर्जी रकबे की एंट्री कर धान खरीदी कर ली गई। इस मामले में समिति प्रबंधक त्रिलोचन बेहरा, फड़ प्रभारी शांति यादव, कंप्यूटर ऑपरेटर रुद्रेश कुमार ने फर्जी रकबे का किसानों की ऋण पुस्तिका से सत्यापन एवं ऋण पुस्तिका में धान खरीदी की एंट्री किए बिना अवैध रकबे में धान की खरीदी किया गया।
इसी तरह लैलूंगा और बीरसिंघा के प्रबंधक प्रहलाद बेहरा, ऑपरेटर विष्णु प्रधान, फड़ प्रभारी झसकेतन प्रधान, बारदाना प्रभारी सतीश कुमार बेहरा ने भी इसी तरह फर्जी रकबा डालकर खरीदी की। किसान पंजीयन में अत्यधिक रकबा वृद्धि, खसरा परिवर्तन, खाता नंबर और आधार नंबर संशोधन कर अवैध खरीदी की गई थी। किसानों के बयान में यह भी पता चला कि उन्हें मालूम ही नहीं था ।फर्जी खरीदी के इस कांड में लैलूंगा का राहुल अग्रवाल पिता सुनील अग्रवाल 28 वर्ष भी शामिल था, जिसने धान खपाने के साथ अपेक्स बैंक पत्थलगांव से आहरण भी किया। साजिश करके टोकन जारी करवाए गए।
ऋण पुस्तिका की बिना जांच के खरीदी, उसमें एंट्री नहीं की गई, पंजीकृत रकबे का सत्यापन न कर सीधे धान खरीदी की एंट्री और बारदाना का पंजी में संधारण न कर केवल आवक पर्ची में दर्ज बारदानों की संख्या के आधार पर बारदाना दिया गया। प्रारंभिक एफआईआर में राहुल का नाम नहीं था लेकिन विवेचना के बाद उसे भी आोपी बनाया गया है। पुलिस ने राहुल को गिरफ्तार कर लिया है। अब अपेकस बैंक के दो अधिकारियों पर भी कार्रवाई तय हो गई है, जिन्होंने वास्तविक किसानों के बजाय बिचौलियों को राशि आहरित करने की अनुमति दी।
पहले ही दिया जा चुका प्रतिवेदन
इस घोटाले में जितनी गलती बिचौलियों और समिति कर्मचारियों की है, उतनी ही गलती अपेक्स बैंक के शाखा प्रबंधक और लेखाधिकारी की है। खाद्य विभाग ने पत्थलगांव के पूर्व बीएम रामकुमार यादव की भूमिका पर भी सवाल उठाते हुए प्रतिवेदन एमडी अपेक्स बैंक को भेजा था। एमडी जांच के आदेश भी दिए हैं। उनके साथ लेखाधिकारी अरुण मिश्रा को भी नोटिस दिया गया था। अरुण मिश्रा की वर्तमान पदस्थापना लैलूंगा ब्रांच में है। दोनों ने मिलकर लैलूंगा, बीरसिंघा और राजपुर के उन किसानों को सेल्फ चैक से रकम आहरण करने दिया, जिनके नाम पर फर्जी रकबा बढ़ा था। उनके एकाउंट से दूसरे खाते में रकम ट्रांसफर की गई। रकम आहरण के लिए 50 हजार रुपए की लिमिट तय है लेकिन यादव ने मनमानी राशि भुगतान की। राहुल के पकड़े जाने के बाद अब पुलिस की रडार पर ये दोनों अधिकारी भी हैं।
