रायगढ़। सडक़ों को मंजूरी देने में महीनों लगाए जाते हैं। उसके बाद सडक़ के लिए अधिग्रहित भूमि का अवार्ड करने व मुआवजा देने में एक साल से ज्यादा समय लग जाता है। इसके बाद भी कई भूमि स्वामियों को मुआवजा नहीं मिल पाता। पीडब्ल्यूडी में चार रोड प्रोजेक्ट ऐसे हैं, जिसमें निजी भूमि का साढ़े चार करोड़ मुआवजा अब भी अटका हुआ है। शासन को कई बार पत्र लिखने के बावजूद राशि जारी नहीं की जा रही है।












रायगढ़ जिले में भू-अर्जन को हमेशा से ही उलझाया जाता है। कभी भी एक बार में प्रोजेक्ट की पूरी जमीन का अवार्ड नहीं होता। पूरक प्रकरणों का अंबार लग जाता है। सरकारी निर्माण एजेंसियां भी भू-अर्जन को लेकर गंभीर नहीं होतीं। किसी भूमि स्वामी की जमीन से रोड बनाने के पूर्व उसे मुआवजा दिया जाना अनिवार्य है। लोक निर्माण विभाग के कई काम ऐसे हैं, जिनमें अभी तक फंड ही नहीं दिया जा रहा है। पीडब्ल्यूडी ईई ने कई बार प्रमुख अभियंता को इस संबंध में सूचना देकर राशि मांगी जा रही है।





पीडब्ल्यूडी के रायगढ़-हमीरपुर रोड में 2.25 करोड़ रुपए, पत्थलगांव-कापू रोड में 75 लाख रुपए, तिलगा-भगोरा रोड में 1.50 करोड़ रुपए और घरघोड़ा बायपसस रोड में 20 लाख रुपए कुल 4.70 करोड़ रुपए की जरूरत है। यह राशि उस निजी भूमि के एवज में दिया जाना है, जो सडक़ निर्माण में ली गई है। राशि की मांग कई बार शासन से की जा चुकी है लेकिन आवंटन इस मद में नहीं होने का हवाला देकर फाइल अटका दी जाती है। इधर भूमि स्वामी को मुआवजा नहीं देने के कारण काम पूरा नहीं हो पा रहा है। सडक़ों में कई जगहों पर काम अधूरा ही पड़ा है।



हर काम में होती है देरी
पीडब्ल्यूडी के प्रमुख अभियंता और मुख्य अभियंता कार्यालयों में फाइलें धूल खाती रहती हैं। रोड की प्रशासकीय स्वीकृति और तकनीकी स्वीकृति में ही एक साल लगा दिए जाते हैं। वर्क ऑर्डर और एक्सप्टेंस में भी महीनों लग रहे हैं। इस वजह से रायगढ़ में रोड प्रोजेक्ट अब तक पूरे नहीं हो सके हैं। एक भूमि स्वामी ने मुआवजा न मिलने पर हाईकोर्ट में याचिका दायर की है।
