रायगढ़। धान खरीदी तेजी से हो रही है। इस बीच प्रबंधक और फड़ प्रभारी मिलकर कई तरह की गड़बड़ी भी कर रहे हैं। खाद्य विभाग ने गुरुवार को नावापारा ब केंद्र में कार्रवाई की जिसमें सरना धान की मात्रा ऑनलाइन एंट्री से अधिक पाया गया। प्रकरण पंजीबद्ध कर लिया गया है। सरकार ने समितियों में धान उपार्जन के लिए सरना, मोटा और पतले धान का अनुपात तय किया है। लेकिन केंद्रों में इसका पालन नहीं किया जा रहा है। कलेक्टर रानू साहू ने समितियों में गड़बड़ी की शिकायत आने पर सख्त कार्रवाई का आदेश दिया है। कलेक्टर के निर्देश पर खाद्य विभाग ने गुरुवार को छिछोरउमरिया समिति के उपार्जन केंद्र नावापारा ब में औचक जांच की। खाद्य अधिकारी चितरंजन सिंह, खाद्य निरीक्षक द्वय चूड़ामणि सिदार और अंजनी राव की जांच में व्यापक अनियमितताएं पाई गई।
बुधवार तक खरीदे गए धान का भौतिक सत्यापन किए जाने पर पता चला कि ऑनलाइन खरीदी पत्रक में दर्ज सरना धान की मात्रा से 949 बोरा मतलब 379.60 क्विंटल अधिक पाया गया। इससे स्पष्ट है कि केंद्र में मोटा धान किस्म के नाम पर सरना धान की खरीदी की जा रही है। कई स्टेक की जांच की गई तो मोटा और सरना धान एक साथ रखे गए थे। जबकि दोनों किस्मों के स्टेक अलग-अलग होने हैं। आवक पंजी और खरीदी पंजी में भी भारी असमानता पाई गई। बोगस खरीदी का भी खुलासा हुआ है। धान के रखरखाव के लिए सुरक्षा व्यवस्था की कमी पाई गई। सिंगल लेयर ड्रेनेज लगाकर धान की स्टेकिंग की गई है। बुधवार को खरीदे गए धान की सिलाई और स्टेकिंग भी नहीं की गई थी। बोरे खुले पड़े हुए थे। केंद्र प्रभारी मुकेश यादव, ऑपरेटर अशोक भोई एवं लिपिक ओमप्रकाश चौहान से पूछा गया तो कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला।
सरना के लिए मिलरों से सेटिंग
नावापारा ब में मोटा धान के नाम पर सरना खरीदी होने के पीछे मिलरों से सेटिंग है। राइस मिलर सरना धान की ज्यादा मांग करते हैं। इसलिए केंद्रों में भी उसी हिसाब से ही खरीदी की जा रही है। मोटा धान के नाम पर सरना की खरीदी के कारण शासन की नीति का उल्लंघन हो रहा है।
चपले में भी ऐसी ही गड़बड़ी
धान उपार्जन केंद्र चपले में भी इसी तरह की गड़बड़ी की गई है। ऑनलाइन रिकॉर्ड के अनुसार सरना धान 588 बोरी होना चाहिए लेकिन फड़ में 4105 बोरी पाया गया। 3517 बोरी सरना धान अधिक पाया गया। जबकि मोटा धान 4653 बोरी के स्थान पर केवल 1900 बोरी पाया गया। मोटा धान 2753 बोरी कम पाया गया।
