कभी दारु की बोतले तो कभी गड्ढे तो कभी टेंट तो कभी आयोजन, खिलाड़ी अभ्यास करें तो कहां करें ?
सारंगढ़ जिला बनने के बाद खेलभाठा मैदान को लेकर प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की बड़ी नजरअंदाजगी
कार्यक्रमों के बाद मैदान में लगा कचरों का ढेर, ना पानी ना.. बिजली धन्य है प्रशासन
खेलो को राज्य सरकार दे रही बढ़ावा लेकिन खेल मैदान पर कार्यक्रमों के आयोजनों का कब्जा
सारंगढ़। नवगठित जिला सारंगढ़-बिलाईगढ़ के जिला मुख्यालय में स्थित सारंगढ़ का खेलभाठा मैदान जिसे रियासत कालीन होने का गौरव प्राप्त है, आज वह अपनी पर बदहाली पर आंसू बहाने पर मजबूर है। सारंगढ़ जिला बनने के बाद लोगों में जल्द ही खेलभाठा मैदान की तस्वीर बदलने की उम्मीद थी। लेकिन अब तक उन्हें खेल मैदान के विकास होने की बाट जोहना पड़ रहा है।












उक्त मैदान जहां सारंगढ़ जिले की घोषणा भी हुई और जहां से सारंगढ़ जिला निर्माण के कार्यक्रम में सीएम ने वायदे भी किए और सारंगढ़ की जनता को बधाइयां दी, आज उस मैदान की हालत ऐसी है कि मैदान में अभ्यास रथ खिलाड़ी, वाकिंग करने वाली महिलाएं, झूले और व्यायाम करने वाले नन्हें बच्चे एवं आम नागरिक के लिए ये बड़ी समस्याएं विद्यमान है।





प्रतिदिन मैदान में शराब की बोतलें, टूटे कांच आए दिन हो रहे होने वाले कार्यक्रमों में टेंट और पंडालों के गाड़ने के बाद होने वाले बड़े-बड़े गड्ढे, बड़ी-बड़ी गाड़ियां, कार व बाइक मैदान की हरी-भरी हरियालीयों को रौंद रही है। खेलभाठा के स्वच्छ हरियाली वातावरण को धूल के गुब्बारों से भरने वाली वाहनें और असामाजिक तत्व मैदान के लिए अभिशाप बन गए हैं। जब चाहे तब कोई भी वाहन मैदान के अंदर घुस कर हरे-भरे घास को रौंद कर मैदान को बर्बाद कर रहे हैं।




मैदान पर फैला कचरा
शराबी अंधेरे का फायदा उठाकर चखकर शराब पीते हैं और बोतलों को वही तोड़ देते हैं बाइकर्स गोल-गोल भाई को घुमा कर धूल के गुब्बारे उड़ा रहे हैं। निरंतर लंबे अरसे से इस मैदान को स्टेडियम का सपना संजोए यहां अभ्यासरथ खिलाड़ी, मोर्निंग वाकिंग करने वाली महिलाएं-बुजुर्ग, झूला झूलने और व्यायाम करने वाले बच्चे एवं शहर के गणमान्यजनों के लिए स्टेडियम का सपना अब महज सपना बनकर रह गया है।

मैदान पर फेंकी गयी शराब की बोतलें
आखिर शासन-प्रशासन के रहते सारंगढ़ की रियासत कालीन धरोहर का ऐसा बुरा हाल कैसे हो रहा है, क्यों कोई सुध नहीं ले रहा? जिला बनने के बाद जिला अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों का इस ओर ध्यान क्यों नहीं जाता? ये सवाल यहां की जनता के मन में हिलोरें मार रही हैं।

सोशल मीडिया में खेल मैदान को लेकर हो रहा ट्रेंडिंग
यहां प्रशासन का काम केवल अपने कार्यक्रमों को पूर्ण करना तक ही सीमित है। खेल भाठा मैदान की दुर्दशा से जनमानस में धीरे-धीरे आक्रोश व्याप्त हो रहा है, अगर जल्द ही खेलभाठा मैदान की स्थिति नहीं सुधरी तो शासन-प्रशासन और यहां के जनप्रतिनिधि आवाम के कटघरे में खड़े नजर आएंगे।
