रायगढ़। वनमंडल रायगढ़ में पूरे डिवीजन के लिए बोरवेल व सामग्री क्रय करने के लिए करीब ५० लाख रुपये का टेंडर होना है मगर न तो इसके लिए विभाग के नोटिस बोर्ड को कोई सूचना चस्पा किया गया है और न ही कोई विज्ञापन जारी किया गया है। गुपचुप तरीके से अपने चहेते ठेकेदार को लाभ पहुंचाने के लिए अधिकारी टेंडर नियमों की अवहेलना करते हुए निविदा कॉल करने की तैयारी कर रहे हैं। खास बात यह है कि यह वही ठेकेदार है जिसके निर्माण व सामग्र्री के गुणवत्ता की पोल पहले की खुल चुकी है।
बिलासपुर वृत्त अंतर्गत टेंडर नियमों के अनुसार २० लाख रुपये टर्नओवर पर दो साल के लिए टेंडर मंगाया जाता है। यह बिलासपुर वृत्त के सारे वनमंडल में लागू होता है मगर वर्तमान में रायगढ़ वनमंडल में नियमों के विरूद्ध ५० लाख टर्नओवर पर तीन साल के लिए निविदा मंगाया गया है। नियमों के अनुसार ५ लाख के उपर टेंडर पर ऑनलाइन प्रक्रिया अपनाने का प्रावधान है। रायगढ़ वनमंडल में ५० लाख का टेंडर होना है। इसके लिए टेंडर कॉल करने एक बार सूचना प्रकाशित कराया गया था किन्तु किसी भी ठेकेदार ने दिलचस्पी नहीं दिखायी।
ऐसे में अब दूसरी बार निविदा कॉल की जानी है। नियमत: यह सब नियमों के तहत ऑनलाईन किया जाना है मगर विभाग में गुपचुप तरीके से प्रक्रिया आगे बढ़ायी जा रही है। न तो इसके लिए किसी अखबार मेंं सूचना प्रकाशित करायी गई है और न ही विभाग के सूचना बोर्ड में इसकी जानकारी चस्पा करायी गई है। पहले और दूसरे टेंडर कॉल में ३० दिन का अंतर होना चाहिये, इसका भी ध्यान नहीं रखा गया है और अपने चहेते ठेकेदार को लाभ पहुंचाने के लिए बिलासपुर सीसीएफ कार्यालय के नियमों के विपरीत बोरवेल, खाद, सामग्री, प्रोफाइल सीट, एंगल आदि खरीदी के लिए निविदा फार्म दिया जा रहा है। यह सब इतने गुपचुप तरीके से इसलिए किया जा रहा है ताकि बड़े ठेकेदारों को इसकी जानकारी नहीं लग सके और वे इसमें भाग न ले सकें।
पहले भी इस तरह का हो चुका खेल
ऐसा नहीं है कि वन विभाग में टेंडर नियमों के विपरीत निविदा का काम किया जा रहा है। इससे पहले भी इस तरह का खेल यहां खेला जा चुका है और फिर से वही हथकंडा अपनाने की तैयारी चल रही है। निविदा की प्रक्रिया पूरी तरह से गोपनीय होती है मगर विश्वस्त सूत्र की मानें तो इसकी पूरी ड्राफ्टिंग ठेकेदार ने खुद विभाग के कंप्यूटर में तैयार किया है।
फर्म के गुणवत्ता की खुल चुकी है पोल
यहां यह बताना जरूरी होगा कि इस ठेकेदार व फर्म को लाभ पहुंचाने के लिए यह सारा प्रपंच खेला जा रहा है, उसके निर्माण कार्यों के गुणवत्ता की पोल पहले ही खुल चुकी है। ठेकेदार के द्वारा बनाये गए तेन्दूपत्ता कार्यालय और रेंजर आवास की दीवारें दरकने लगी हैं। बड़ी-बड़ी दरारें खुद बताने लगी हैं कि निर्माण कार्य में किस तरह से घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया था, बावजूद दोबारा उसी ठेकेदार को काम देने की तैयारी चल रही है।
