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Home | रेत खदान को लेकर नई व्यवस्था लागू करने की तैयारी, नीलामी वाला तरीका सरकार को नहीं आया रास, अधिसूचित क्षेत्रों में फिर से ग्राम पंचायत को मिलेगा अधिकार

रेत खदान को लेकर नई व्यवस्था लागू करने की तैयारी, नीलामी वाला तरीका सरकार को नहीं आया रास, अधिसूचित क्षेत्रों में फिर से ग्राम पंचायत को मिलेगा अधिकार

रायगढ़, 11 जनवरी। सरकार को रेत खदानों की नीलामी वाली नीति रास नहीं आई। अब वापस से 2018 के पहले की पॉलिसी ही अपनाई जा रही है। अधिसूचित क्षेत्रों में रेत घाटों का संचालन ग्राम पंचायतों को ही देने का ड्राफ्ट तैयार हो चुका है। दरअसल पहले की तरह ज्यादा संख्या में रेत खदानें स्वीकृत करने के लिए ऐसा किया जा रहा है। 2018 तक रायगढ़ जिले में करीब 39 रेत खदानें संचालित थीं। कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आते ही नीति को बदला और नीलामी के जरिए रेत घाट आवंटित किए जाने लगे। इसका नतीजा यह हुआ कि रेत का कारोबार स्थानीय लोगों के हाथ से छीनकर माफियाओं को दे दिया गया। नीलामी में बड़े-बड़े रसूखदार राजनीतिक संरक्षण प्राप्त लोग ही भाग लेने लगे।

जाहिर सी बात है रेत की उपलब्धता कम होती गई और कीमत बढ़ती गई। रायगढ़ में बमुश्किल चार रेत खदानें ही विधिवत संचालित हो रही हैं। अब सरकार ने चार साल बाद नीति में बदलाव किया है। आदिवासी ब्लॉकों में रेत घाटों को वापस ग्राम पंचायत के हाथ सौंपने का ड्राफ्ट तैयार हो चुका है। जल्द ही अधिसूचना जारी कर इसे नियमों में शामिल कर दिया जाएगा। पांच साल के लिए उत्खनिपट्टा प्रदान करने के साथ आवेदन की प्रक्रिया भी बदली जाएगी। अब पर्यावरणीय शर्तें भी बदल चुकी हैं। ग्राम सभा के अनुमोदन से ग्राम पंचायत की ओर से आवेदन प्रस्तुत किया जा सकता है। फिलहाल नियमों को लेकर चर्चा की जा रही है।

रेत की अवैध निकासी जोरों पर

वैध रेत घाट ज्यादा नहीं होने के कारण निर्माण कार्यों में अवैध रेत की आपूर्ति की जा रही है। इसे रोका भी नहीं जासकता क्योंकि निर्माण कार्य ठप्प पड़ जाएंगे। इसीलिए सरकार ने आदिवासी ब्लॉकों में ग्राम पंचायतों और नगरीय निकायों को ही संचालन देने का आदेश दिया है।