डीपीआर तैयार कर केन्द्र को भेजा गया, जल्द ही स्वीकृति मिलने की संभावना
रायगढ़। अगर सब कुछ ठीक रहा तो अगले सत्र से मेडिकल कॉलेज में ५० नहीं बल्कि १०० सीटों पर भर्ती होगी। इसका सीधा लाभ स्टूडेंट्स को होगा। दाखिले के लिए एक साल से इंतजार करने वाले छात्रों को सीटें बढऩे से राहत मिलेगी और उनका दाखिला हो सकेगा। हालांकि अभी स्वीकृति आनी बाकी है मगर मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने इसको लेकर तैयारियां शुरू कर दी हैं।
स्व. लखीराम अग्रवाल स्मृति रायगढ़ मेडिकल कॉलेज में हर साल दाखिले के लिए मारामारी रहती है। एमबीबीएस बनने की चाह रखने वाले स्टूडेंट्स की दाखिले के लिए लंबी कतारें लगी रहती हैं मगर यहां सीटों की संख्या सीमित रहने के कारण अधिकांश स्टूडेंट्स को निराश होना पड़ता है और फिर से एक साल के लिए इंतजार करना पड़ता है। इस स्थिति को देखते हुए मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने इस साल यहां की सीट ५० से बढ़ाकर १०० करने के लिए प्रस्ताव बनाया था और विगत ७ सितंबर को ऑनलाइन माध्यम से इस आवेदन को केन्द्र के पास भेजा था। अच्छी बात यह है कि विगत दिनों केन्द्र स्तर पर आयोजित हुई बैठक में इसका डीपीआर भी प्रस्तुत किया गया था जहां केन्द्र के अधिकारियों ने इसका न सिर्फ अवलोकन किया बल्कि इसमें सुधार करते हुए दोबारा डीपीआर तैयार कर प्रस्तुत करने के लिए निर्देशित किया गया था जिसे आखिरकार प्रस्तुत कर दिया गया है। ऐसे में अब पूरी उम्मीद की जा रही है कि आने वाले सत्र से मेडिकल कॉलेज की सीट ५० से बढक़र १०० कर दी जायेगी। हालांकि यह प्रक्रिया कब तक पूरी होगी, यह तय नहीं है क्योंकि यह सब केन्द्र पर ही निर्भर है।
चरणबद्ध तरीके से होगा काम
हालांकि अधिकारी बताते हैं कि यह पूरी प्रक्रिया चरणबद्ध तरीके से होगी। इसके बाद ही कहीं जाकर सीटें बढ़ाने को लेकर स्वीकृति प्रदान की जायेगी। हालांकि मेडिकल कॉलेज प्रबंधन इसको लेकर आश्वस्त है और इसके अनुरूप यहां तैयारी भी शुरू कर दी है।
नये स्टूडेंट्स को मिलेगा लाभ
अगर ऐसा होता है और मेडिकल कॉलेज की सीट बढ़ा दी जाती है तो इसका पूरा फायदा नये स्टूडेंट्स को मिलेगा। सीटों के अभाव और भर्ती की जटिल प्रक्रियाओं के चक्कर में उलझ कर दाखिले से वंचित होने वाले स्टूडेंट्स को दूसरे जिलों में भटकना नहीं पड़ेगा।
स्टॉफ की कमी अभी बरकरार
हालांकि, सीटें बढऩे से रायगढ़ मेडिकल कॉलेज की डिमांड बढ़ेगी मगर इसके विपरीत अब भी यहां सुविधाओं का अभाव बना हुआ है। खासकर मेडिकल कॉलेज में स्टॉफ की कमी अब भी बनी हुई है। करीब २५ प्रतिशत पद अब भी रिक्त पड़े हुए हैं।
