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केलो विहार का प्रीमियम तय नहीं, कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट की याचिका दायर

हाईकोर्ट ने तीन महीने में निर्धारण के लिए दिया था समय, नजूल विभाग ने नहीं दिया ध्यान, कलेक्टर को बनाया पार्टी

रायगढ़। प्रीमियम निर्धारण नहीं करने पर अब राजस्व सचिव और कलेक्टर रायगढ़ के विरुद्ध कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट की याचिका लगाई गई है। हाईकोर्ट ने केलो विहार कॉलोनी के प्रीमियम तय करने के लिए तीन महीने का समय दिया था। इस अवधि में निर्णय नहीं लिया गया तो केलो विहार शासकीय कर्मचारी गृह निर्माण संस्था ने कंटेम्प्ट का केस लगा दिया है।

करीब 25-30 सालों से केलो विहार का मामला अटका हुआ है। भूतपूर्व कलेक्टर द्वारा आवंटित भूमि सरकारी कर्मचारियों को प्लॉट आवंटित किए गए। इसमें भी गड़बड़ी की गई। इसके बाद आवंटित प्लॉटों पर प्रीमियम और भूभाटक निर्धारण किया जाना था। नजूल विभाग ने इस पर कोई निर्णय नहीं लिया। केलो विहार समिति की ओर से हाईकोर्ट में याचिका लगाई गई। अदालत ने जिला प्रशासन को जल्द निर्णय करने का आदेश दिया गया था। इसके बाद भी राज्य सरकार और जिला प्रशासन के बीच फाइल घूमती रही। जब कोई रास्ता नहीं निकला तो समिति ने फिर से यचिका दायर की। 23 अगस्त 2022 को हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि तीन महीने में केलो विहार कॉलोनी के संबंध में निर्णय लिया जाए। इन तीन महीनों में नजूल विभाग भी सोया रहा और किसी अधिकारी को भी फुरसत नहीं मिली। 23 नवंबर को तीन महीने की डेडलाइन खत्म हो गई। अब केलो विहार समिति ने हाईकोर्ट में कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट की पिटीशन दायर कर दी है। इसमें राजस्व सचिव एनएन एक्का और कलेक्टर रानू साहू को पक्षकार बनाया गया है।

आधे को अपात्र किया तो हंगामा
वर्तमान में अध्यक्ष का कार्यकाल पूरा हो चुका है। अब केलो विहार समिति में लंबे समय बाद चुनाव हो रहा है। लेकिन प्रारंभिक सूची प्रकाशन में आधे सदस्यों को अपात्र कर दिए जाने से हंगामा हो गया है। अध्यक्ष का कहना है कि जिनको जमीन मिली लेकिन घर नहीं बनाया और ऐसे ही दो अन्य कारणों से अपात्र किए गए हैं। सूत्रों के मुताबिक अपात्रों में दो ऐसे लोग भी हैं, जो अब तक संचालक मंडल सदस्य थे। सवाल यह उठ रहा है कि ये दोनों इसके पहले चुनाव में अपात्र क्यों नहीं हुए। अपात्रों को वापस लेने की मांग लेकर प्रभारी कलेक्टर से शिकायत भी की गई है।