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एक दमकते सूरज का समय से पूर्व अवसान

शहीद नंदकुमार पटेल ग्राम नदेली का एक साधारण व्यक्ति, ग्रम पंचायत का सरपंच जो अपने कमीना और समर्पण से सबके बीच परिचित होता है अपने विशेष छाप छोड़ता है और राजनीतिक क्षेत्र में बुलंदी को छूते हुए छत्तीसगढ़ प्रदेश के जन-मन तक अपने व्यक्तित्व को विस्तारित करता है। 1988 के खरसिया उपचुनाव का समय प्रदेश के मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह चुनाव के मैदान में होते हैं। और विपक्ष का प्रत्याक्षी मजबूत, मुकाबला जबर्दस्त तब खरसिया विधानसभा के अंतर्गत ग्राम पंचायत नंदेली का युवा सरपंच मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह को जीताने के लिए अपने सांगठनिक चातुर्य एवं बुद्धि कौशल का इस प्रकार उपयोग करता है कि उनकी कार्यशैली से प्रभावित होकर मुख्यमंत्री स्वयं तारीफ करने को विवश होते हैं।

नंदकुमार पटेल ने अपनी विशेष छाप छोड़ते हुए अपने दल के प्रत्याशी को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई और यहीं से उनके राजनैतिक उद्भव का अध्याय शुरू हुआ। 1990 के चुनाव में नंदकुमार पटेल खरसिया से विधायक प्रत्याशी बनाये गये फिर लोकप्रियता का ग्राफ इस प्रकार से बढ़ कि 1998, 2003, 2008 के चुनाव में बढ़ते मत अंतराल से जीत हासिल करते गए। उनकी कुशल संगठन क्षमता को देखते हुए कांग्रेस आलाकमान ने अप्रैल 2011 में उन्हें छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की कमान सौपी। आपने अपने प्रदेश अध्यक्ष बनने के साथ ही कांग्रेसजनों में उत्साह का संचार करना प्रारंभ कर दिया। सघन दौरा प्रदेश के इस कोने से उस कोने तक सरगुजा के बलरामपुर से बस्तर के धुर नक्सली क्षेत्रों आपने पहुंचकर कार्यकर्ताओं का हौसला बढ़ाया।

प्रदेश में सत्ता परिवर्तन का शंखनाद करते हुए आपने मई 2013 में परिवर्तन यात्रा की शुरूआत की जिसमें सरगुजा, जशपुर, रायगढ़ जिला होते हुए परिवर्तन यात्रा राजधानी रायपुर पहुंची थी। रायपुर से जगदलपुर के लिये परिवर्तन यात्रा 22 मई 2013 को खाना हुई। इस यात्रा में मुख्य अतिथि पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के पुत्र अनिल शास्त्री थे और यात्रा प्रभारी तात्कालीन नेता प्रतिपक्ष टी. एस. सिंहदेव थे मेरा सौभाग्य है कि मुझे भी नंदकुमार पटेल अपने साथ इस अवसर पर लेकर गए थे। 23 मई को यात्रा समाप्त होने के बाद मैं स्वयं तथा शहीद नंदकुमार पटेल एवं शहीद दिनेश पटेल उनके कमरे में बैठे थे। कई प्रकार की चर्चा के बीच मुझे शहीद नंदकुमार पटेल ने कहा था कैलाश हम जहां पर है यह घोर नक्सली इलाका है ईश्वर जाने आगे क्या होगा। दूसरे दिन प्रातः 24 मई को यात्रा पुनः प्रारंभ हुई और शाम जगदलपुर पहुंची।

जगदलपुर की सभा के बाद तत्कालीन केन्द्रीयमंत्री एवं वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत नंदकुमार पटेल से मिलकर रायपुर निकले थे। उसी समय मुझे पटेलजी ने कहा कि कैलाश आप अनिल शास्त्री के साथ अभी रायपुर निकल जाओ। सुबह इन्हें एयरपोर्ट से बेंगलुरू खाना करके वापस खरसिया चले जाना। मुझे इस बात का एहसास ही नहीं था कि मेरी यह उनसे अंतिम मुलाकात होगी। 25 मई को मैं शास्त्रीजी को रवाना कर शाम की ट्रेन से खरसिया के लिए निकला जैसे ही ट्रेन भाटापारा से आगे निकली मुझे फोन आया कि परिवर्तन यात्रा पर नक्सली अटैक हुआ है मैं अवाक् और बेसुध हो गया। जब तक मैं सम्हला और होश में आया तो सूरज अस्त हो चुका था। शहीद नंदकुमार पटेल के साथ बिताए क्षण आज तक मेरे जेहन में घूम रहे हैं मैं उनके जीवन पर्यंत नहीं भूल सकता वे मेरे अंतर्मन में बस चुके हैं।

कैलाश अग्रवाल, खरसिया, सदस्य- प्रदेश कांग्रेस कमेटी