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Home | Raigarh News : गुण्डे-मवालियों के अकल ठिकाने लगाने पुलिस लगाएगी जन चौपाल – महादेवा

Raigarh News : गुण्डे-मवालियों के अकल ठिकाने लगाने पुलिस लगाएगी जन चौपाल – महादेवा

रायगढ़, सुनील नामदेव। औद्योगिकरण में विस्तार के साथ दीगर प्रांत के लोगों के आने के बाद रायगढ़ में अपराध का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है। ऐसे में असामाजिक तत्वों के हौसले को पस्त करने के लिए पुलिस जनचौपाल भी लगाएगी। वहीं, पब्लिक के बीच सामंजस्य स्थापित करना ही बेसिक पुलिसिंग का उद्देश्य है। यह कहना है – अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक संजय महादेवा का।

बिलासपुर के ग्राम लिदरी निवासी और पंचायत विभाग के सेवानिवृत्त कर्मचारी एमएल महादेवा तथा श्रीमती तारा बाई के यहां 7 नवंबर 1981 को जन्म लेने वाले संजय 4 भाइयों में सबसे बड़े हैं। प्रारंभिक शिक्षा दीक्षा पैतृक गांव के सरकारी स्कूल से शुरू हुई। फिर कक्षा दूसरी से पांचवीं तक लोरमी के नवाडीह, छठवीं से बारहवीं (कला संकाय) तक पढ़ाई तखतपुर में हुई। करगीरोड-कोटा के कॉलेज में बीए के दौरान संजय ने पीएससी एग्जाम दिलाया, फिर एमए भी किया।

रामानुजगंज में हुई पहली पदस्थापना

पीएससी परीक्षा में कामयाबी के बुलंद झंडे गाडऩे वाले 2007 बैच के संजय ने चंदखुरी में 2 साल प्रशिक्षण लिया। फिर 3 जुलाई 2010 को रामानुजगंज में एसडीओपी के रूप में फस्र्ट पोस्टिंग हुई। इसके बाद 2012-13 में कोंटा, 2014 से 17 तक कटघोरा, प्रमोशन होने पर एडिशनल एसपी के तौर पर सुकमा में 2017 से 18, जगदलपुर में 2018 से 20, गौरेला-मरवाही-पेंड्रा में 4 महीने तक सेवा के बाद 2021 में जांजगीर-चाम्पा और 2021 में  राजनांदगांव के पश्चात् विगत 8 अक्टूबर से ये रायगढ़ में एएसपी के रूप में सेवारत हैं।

कानून संबंधी किताबें पढ़ने का है शौक

संगीत और लोकगीत गायन में दिलचस्पी रखने वाले पुलिस अफसर संजय महादेवा को नित नए कानून संबंधित किताबें पढऩा अच्छा लगता है। मुंशी प्रेमचंद की ज्ञानवर्धक रचनाएं भी इनको भाती है। अरस्तु को अपना आदर्श मानते हैं तो सेवई इनका फेवरेट डिश है। सन् 2004 में इन्होंने बिलासपुर में ब्याह रचाया और दो बेटी दिव्या-मुस्कान तथा बेटे निखिल की खुशी ही महादेवा परिवार की सबसे बड़ी सम्पत्ति है।

समय के साथ बदला अपराध का स्वरूप

महादेव कहते हैं कि कलतक जो पुराने कानून थे, भले ही उसका स्वरूप बदल गया, मगर वो आज भी प्रासंगिक है। ऐसे में कानून के बदलते स्वरूप को आत्मसात कर पुलिसिंग करना उनकी प्राथमिकता है। उपलब्ध संसाधन और आवश्यकताओं के बीच सामंजस्य बनाना ही समय की मांग है।

संस्कारधानी से मिनी इण्डिया बन गया रायगढ़

कला और संस्कृति से भारत भर में अपनी अलग पहचान बनाने वाले रायगढ़ के चक्रधर समारोह की बात ही अलग है। यही वजह है कि रायगढ़ को कला और संस्कारधानी नगरी भी कहा जाता है, लेकिन औद्योगिक जिला बनने के बाद कई प्रदेशों के लोगों के आकर बसने से यह अब मिनी इंडिया भी बनने लगा है। इसके साथ ही क्राईम का ग्राफ उछलने से पुलिस की जिम्मेदारी भी बढ़ गई है। जनसहयोग से ही अपराध पर लगाम लगाया जा सकता है।

अपराध रोकने में जनता की हो सहभागिता

एडिशनल एसपी संजय महादेवा भी मानते हैं कि रायगढ़ अंचल में बढ़ते सडक़ हादसे चिंता का गंभीर विषय है। तीन सवारी और बगैर हेलमेट के वाहन चालन जैसी छोटी जिम्मेदारी निभाते हुए जनता यातायात नियमों को ईमानदारी से फॉलो कर सहभागिता निभाए तो काफी हद तक हालात सुधर सकते हैं। पब्लिक की जागरूकता से अपराधियों में खौफ पैदा होगा तो सही मायने में इसे बेहतर पुलिसिंग कहा जा सकता है। वहीं, उन्होंने  कहा कि अगर वे पुलिस अधिकारी नहीं बनते तो शिक्षक जरूर होते।

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