रायगढ़। शहर के पुराने तालाब को वापस से अस्तित्व में लाने के लिए एक याचिका हाईकोर्ट में लगाई गई थी। इस मामले में अदालत ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है। इससे अग्रसेन सेवा संघ को झटका लगा है जो उक्त भूमि पर सक्रिय है।
मामला शहर के हृदयस्थल में कई साल पहले मौजूद नया तालाब या पक्का तालाब का है। अब इसका नामोनिशान नहीं है। तालाब के स्थान पर कई निर्माण हो चुके हैं। इस तालाब को वापस से अस्तित्व में लाने और जमीन को हथियाने साजिश को बेनकाब करने ओमप्रकाश गुप्ता ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई है। उन्होंने तालाब के पुराने रिकॉर्ड और समय-समय पर इसमें होते रहे बदलावों के दस्तावेज भी अदालत में प्रस्तुत किए हैं। उनकी ओर ने अधिवक्ता नीलकंठ मालवीय ने पैरवी की है। याचिका में छग शासन, सचिव राजस्व विभाग, कलेक्टर रायगढ़, एसडीएम रायगढ़, नजूल अधिकारी रायगढ़, सेठ किरोड़ीमल धर्मादा ट्रस्ट, अग्रसेन सेवा संघ और आयुक्त नगर निगम को पक्षकार बनाया गया है। दरअसल याचिकाकर्ता ने दस्तावेजी प्रमाणों के साथ दावा किया है कि कैसे ट्रस्ट और अग्रसेन सेवा संघ की कूटनीति के कारण इस तालाब का अस्तित्व ही खत्म हो गया।
कैसे तालाब को बदला बेशकीमती जमीन में
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में पक्का तालाब को एक बेशकीमती नजूल भूमि में बदलने के लिए किए गए कुत्सित प्रयासों का पर्दाफाश करते हुए याचिका दायर की है। तालाब को पहले नजूल जमीन में बदल दिया गया। बाद में इसे अग्रसेन सेवा संघ के नाम पर चढ़ा दिया गया। यहां बड़े व्यावसायिक निर्माण भी किए गए हैं। अदालत ने मामले में यथास्थिति बनाए रखने का आदेश जारी किया है। इसकी अगली सुनवाई 14 मार्च 2023 को तय की गई है।
