रायगढ़। धरमजयगढ़ के जंगलों में डेरा डाले 3 दर्जन से अधिक हाथियों को बुधवार दोपहर लैलूंगा के खरी पहाड़ के पास रोड पार करते देख लोग दहशतजदा हैं। दरअसल, गजराजों का यह दल फटहामुड़ा और फुलीमुड़ा के 35 किसानों की खेतों में धावा बोलते हुए फसलों को चौपट कर चुका है। वहीं, दनौट से 19 अतिकायों के पुसल्दा जा धमकने से लोगों ने वन विभाग से मदद की गुहार लगाई है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक धरमजयगढ़ के बाद अब लैलूंगा वन परिक्षेत्र में अतिकायों की धमक से फारेस्ट के कान खड़े हो गए हैं। बताया जाता है कि लैलूंगा से लैलूंगा रेंज में 4 दर्जन से अधिक हाथियों में आक्रामकता देखी गई है, इसलिए एहतियात के तौर पर उनका लोकेशन जानने के लिए वनकर्मी बेहद अलर्ट हैं।
बुधवार को फटहामुड़ा के 25 किसानों एवं बोरो वन परिक्षेत्र के बताती रेंज के दर्जनों एकड़ खेत की फसलों को हाथियों के झुंड ने रौंद दिया। गजराजों का यह दल रायगढ़ और धरमजयगढ़ वन मंडल के आसपास ही भटक रहे हैं। बुधवार दोपहर कुछ लोग कार से लैलूंगा के जंगली क्षेत्र घूमने निकले थे तभी सामने उनको जो नजारा दिखा, उसे देख उन्होंने चुपचाप गाड़ी रोकने में ही भलाई समझी। लगभग 4 दर्जन से ज्यादा हाथियों के झुंड खरी पहाड़ से उतरते हुए दनौट के मुख्य मार्ग पार करते हुए जंगल जा रहे थे। कार सवार युवकों ने इस दिलचस्प दृश्य को अपने मोबाइल फोन में कैद कर सोशल मीडिया में वायरल भी किया । अतिकायों के इस दल में हथिनी और शावक भी शामिल हैं, जो धूल उड़ाते हुए जंगलों में विचार रहे हैं।
जनचर्चा है कि घरघोड़ा के अमलीडीह सुमड़ा के जंगल में हथिनी की बरामद लाश इसी दल की होने की आशंका है। इसके कारण ही हाथी की मौत के बाद इस दल के हाथियों के स्वभाव में भी आक्रामकता की झलक दिखाई देने लगी है। वहीं, दो दिनों के अंतराल में दो-दो हाथी की लाश मिलने के बाद एकाएक गजराजों के झुंड के स्वभाव में काफी बदलाव आया है। यही वजह है कि वन विभाग द्वारा अब ग्रामीण क्षेत्रों में मुनादी कराई जा रही है कि वह जंगल की ओर न जाये । विभागीय जानकारी के मुताबिक हाथी मित्र दल और हाथी ट्रेकिंग दल लगातार जंगल में सर्चिंग कर रहे हैं, ताकि उनके उत्पात से लोग सावधान हो सके।
