आधा दर्जन समितियों से होनी है वसूली, करीब दो करोड़ रुपए का खाद किसानों के बजाय सीधे व्यापारियों को दिया
रायगढ़। धान खरीदी समितियों में अनियमितता अब जड़ तक पहुंच चुकी है। इसे खत्म करने के लिए सहकारिता विभाग को ही पूरी तरह बदलना होगा। विभाग के अधिकारी खुद समिति को गड़बड़ी करने के लिए संरक्षण देते हैं। यही वजह है कि अभी तक खाद की भरपाई नहीं की जा सकी है। खाद का पैसा भरने के लिए धान खरीदी में गड़बड़ी की जा रही है।












बीते दिनों साल्हेओना समिति में एक किसान ने उसके धान को पूरा तौल करने के बजाय चोरी करने का आरोप लगाया था। साल्हेओना समिति में खाद के करीब 70 लाख रुपए वसूल किए जाने हैं। वर्ष 2021-22 के खरीफ सीजन के लिए आए हुए खाद को नकद में बेच दिया गया। इसकी राशि को खाते में जमा करने के बजाय गबन कर लिया गया। दरअसल समिति में भारी शॉर्टेज आया था जिसके बाद प्रबंधक बंशीधर पटेल और संचालक मंडल ने खाद बेचकर राशि भरपाई की। अब खाद की कीमत जमा करने के लिए धान खरीदी में गड़बड़ी की जा रही है। साल्हेओना में 70,66,693 रुपए की वसूली की जानी है। यही हाल सरिया का भी है। यहां भी करीब 65 लाख रुपए की रिकवरी होनी है। धान कमी की भरपाई के लिए प्रबंधक गोपाल प्रधान ने खाद को नकद में बेच दिया। अब धान खरीदी में गड़बड़ी कर खाद की राशि जमा की जाएगी। तेतला और पंचधार में भी यही कहानी है। ऐसा कई समितियों में हो रहा है।





धान खरीदी में फर्जीवाड़ा चरम पर
धान खरीदी में गड़बड़ी अभी तक नहीं रुक सकी है। इस साल भी कई समितियों में रकबा बढ़ोतरी की गई है। कई किसान ऐसे भी हैं जो बीज निगम और समिति दोनों में पंजीकृत हैं। ऐसे किसान दोहरा लाभ लेकर शासन को नुकसान पहुंचा रहे हैं। रकबा बढ़ोतरी का कारनामा इस साल भी हो रहा है। पड़त भूमि में भी धान बेचा जा रहा है।



