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Raigarh News : ओपी रायगढ़ से चुनाव नहीं लड़ेंगे

रायगढ़, 07 जनवरी। हां-ना, अगर-मगर, किन्तु-परन्तु, इन तमाम संशयों से भाजपा नेता फायर ब्रांड नेता ओपी चौधरी पूरी तरह से अब उबर चुके हैं, वर्ष 2023 के विधानसभा चुनवा में ओपी चौधरी रायगढ़ के रणसंग्राम के हिस्सा नहीं बनेंगे। कहने का तात्पर्य यह है कि ओपी ने रायगढ़ सीट से अपने कदम वापस खींच लिये हैं। ऐसा हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि खुद ओपी चौधरी के निकटवर्ती सूत्र यह दावा कर रहे हैं। इस साल का विधानसभा चुनाव पूर्व आईएएस अफसर ओपी चौधरी के लिए सियासी भविष्य के नजरिये से बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि कांग्रेस सरकार के खिलाफ अपने बेबाक बयानों व प्रखर विरोध से ओपी आए दिन सुर्खियां में बने रहते हैं।

ओपी ने अपनी कार्यदक्षता को बखूबी प्रमाणित किया है लेकिन चुनाव के यक्ष प्रश्न पर उनकी अग्नि परीक्षा अभी बाकी है। यूं तो ओपी चौधरी चन्द्रपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने के बेहद ख्वाहिशमंद हैं परन्तु जशपुर राजपरिवार की बहूरानी श्रीमती संयोगिता सिंह जूदेव की प्रबल दावेदारी उनके रास्ते का सबसे बड़ा स्पीड ब्रेकर है। चूंकि पहला विधानसभा चुनाव ओपी चौधरी हार चुके हैं, इसलिये स्वाभाविक सी बात है कि वे इस बार किसी तरह का कोई रिस्क उठाने के मूड में बिल्कुल नहीं हैं और यह गलत बात भी नहीं हैं क्योंकि हर व्यक्ति को अपने भविष्य निर्धारित करने का जायज हक प्राप्त है, लेकिन  पार्टी आलाकमान का आदेश रहा तो अनमने मन से ही सही ओपी को चुनाव समर में उतरना पड़ सकता है।

हालांकि इस स्थिति को न भाजपा के लिए अच्छा माना जा रहा है, न ही ओपी चौधरी के लिए। ओपी चौधरी खुद के लिये महफूज सीट की तलाश में हैं। श्री चौधरी, रायगढ़ सीट पर अपनी संभावनाएं टटोल रहे थे लेकिन रायगढ़ के सियासी मिजाज व जातिगत समीकरण और ऐन मौके पर भीतरघात की राजनीति को देखते हुए अब ओपी चौधरी का मन पूरी तरह से बदल गया है। इन तमाम तिकड़मों के बीच एक यह संभावना भी है कि ओपी चौधरी इस बार विधानसभा चुनाव नहीं लड़ें।

पार्टी नेतृत्व उन्हें चुनाव के दौरान स्टार प्रचारक के रूप में इस्तेमाल कर सकती है। ओपी की काबिलयत उनका सहज-सरल व्यक्तित्व उन्हें सीधे कार्यकर्ताओं के करीब लाता है। वहीं उनकी लोकप्रियता को उनके विरोधी भी मानते हैं। इसलिए यह भी मुमकिन है कि ओपी चौधरी को प्रदेश नेतृत्व रायगढ़, जशपुर, चांपा-जांजगीर, कोरबा, बिलासपुर व सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले की पूरी कमान सौंप दे तो भाजपा को अवश्य ही फायदा मिलेगा