रायगढ़। छत्तीसगढ़ की भाजपा सियासत के भविष्य की उम्मीदों के नायक पूर्व आईएएस अधिकारी ओपी चौधरी के चुनाव लडऩे पर अनिश्चितताओं की धुंध हटने का नाम नहीं ले रही है। हो सकता है कि बीजेपी का राष्ट्रीय नेतृत्व २०२३ के चुनाव में ओपी चौधरी को विधानसभा से किनारे लगा दे। ऐसा हम बिल्कुल नहीं कह रहे हैं, बल्कि यह भाजपा के विश्वसनीय सूत्रों का कहना है। भले ही यह बात मौजूदा हालात में तो संभावना परिलक्षित हो रही है, मगर हकीकत के एकदम करीब है। समंदर की लहरों व सियासत के मिजाज को कौन पूरी तरह से समझ सका है फिर यह संवाददाता इस सत्य से अछूता कैसे रह सकता है।
छत्तीसगढ़ भाजपा की मौजूदा राजनीति के ताकतवर चेहरे के रूप में स्थापित हो चुके ओपी चौधरी के विधानसभा चुनाव लडऩे के प्रश्न पर संशय के बादल मंडरा रहे हैं। दरअसल, पार्टी का राष्ट्रीय नेतृत्व विधानसभा चुनाव में ओपी चौधरी की ऊर्जा का भरपूर उपयोग करने का प्रबल हिमायती है। भाजपा नेतृत्व का मंतव्य है कि ओपी चौधरी को एक विधान सभा सीट तक सीमित रखना बुद्धिमता वाली बात नहीं होगी, बल्कि ओपी चौधरी का चुनाव के दौरान पूरे छत्तीसगढ़ में स्टार प्रचारक के रूप में इस्तेमाल किया जाना दूरदर्शितापूर्ण निर्णय होगा।
दरअसल, भाजपा नेतृत्व को ऐसा समझाए जाने के पाश्र्व में अनेक प्रबल तर्क उपलब्ध हैं। यथा, दंतेवाड़ा में कलेक्टर रहने के दौरान ओपी चौधरी ने बेहतर कार्य किया है इसलिए पार्टी का यह सोचना है कि बस्तर संभाग की छह से सात सीटों पर ओपी का बेहतर उपयोग किया जा सके। इसके अलावा बिलासपुर संभाग, जशपुर, सारंगढ-बिलाईगढ़ जिला व बलौदाबाजार जिले में ओपी की कार्यक्षमता को कसौटी पर कसा जाएगा। प्रदेश नेतृत्व व क्षेत्रीय संगठन महामंत्री का मानना है कि ओपी चौधरी पार्टी के उजले सितारे हैं फिर उनकी चमक से संगठन क्यों न रौशन हो। हालांकि ओपी चौधरी का इस मामले में भी एकदम स्पष्ट रूख है कि मैं पार्टी का अनुशासित सिपाही हूं और मुझे नेतृत्व का हर निर्णय शिरोधार्य है। यहां आपको बता दें कि राज्य में ओपी चौधरी की काबिलियत व लोकप्रियता का सर्वहारा वर्ग मुरीद है।
