वन्य प्राणी संरक्षण सप्ताह के तहत गांव-गांव में निकालनी थी रैली, कई जगह मामले आए सामने
रायगढ़। फारेस्ट विभाग ने इस साल भी वन्य प्राणी संरक्षण सप्ताह के तहत कई कार्यक्रम आयोजित किये। शहर से लेकर गांवों तक लोगों को जागरूक करने रैली निकाली गई मगर इस दौरान कई जगह वनकर्मियों को ग्रामीणों के आक्रोश का भी सामना करना पड़ गया। लोगों को जागरूक करने गए वनकर्मियों को ग्रामीणों ने ही सीख दी डाली कि पहले उन्हें ही जंगलों की सुरक्षा को लेकर गंभीर होने की दरकार है।
दरअसल, 2 से लेकर 8 अक्टूबर तक हर साल वन्य प्राणी संरक्षण सप्ताह का आयोजन किया जाता है। इस साल भी इसको लेकर वनमंडल रायगढ़ में विविध कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इसके अलावा जिला मुख्यालय से लेकर गांव-गांव में जागरूकता रैली निकाली गई थी। हालांकि इस रैली में विभाग भीड़ जमा नहीं कर सकी मगर इस दौरान ग्रामीण अंचल में कई दिलचस्प वाकये सामने आए। कहने को तो यह आयोजन आम लोगों को, ग्रामीणों को वन्य जीवों की सुरक्षा, वनों की सुरक्षा करने, उन्हें जागरूक करने उद्देश्य से किया गया था मगर कई गांवों में इस दौरान वनकर्मियों को ग्रामीणों के कोप का भाजन भी बनना पड़ गया। जुनवानी में भी रैली निकाली गई थी और इसका नेतृत्व वन रक्षक लाखन सिदार कर रहे थे।
ये वही वन रक्षक हैं जिन्हें जुरडा तालाब निर्माण के मामले में निलंबित किया गया था और हाल ही में बहाल किया गया है। फिर क्या था जैसे ही वनकर्मी गांव में रैली निकालने पहुंचे तो ग्रामीण भडक़ गए और कहने लगे कि पहले तो वन अमले को ही जागरूक होने की दरकार है। गर्मी के सीजन में जब जंगलों में आग लगती है तब वे कहां लगते हैं, पेड़ काटे जाते हैं तो कहां रहते हैं और आज ग्रामीणों को जागरूक करने आ पहुंचे हैं। वनरक्षक लाखन सिदार को भी उन्होंने आड़े हाथों लिया और जुर्डा तालाब घोटाले तक की याद दिला दी।
समितियों को नहीं बुलाने से भड़की डीएफओ
यह तो सभी जानते हैं कि बिना वन प्रबंध समितियों के जंगलों और वन्य जीवों की सुरक्षा संभव नहीं है मगर यहां पिछले साल भर से विभाग के अधिकारी व कर्मचारियों की कार्यप्रणाली के कारण वन समितियों ने विभाग से दूरियां बना ली हैं। वन्य प्राणी संरक्षण सप्ताह में भी वे नहीं दिखे क्योंकि उन्हें रेंजर, डिप्टी रेंजरों ने बुलाया ही नहीं था। इसकी जानकारी जब डीएफओ स्टायलो मंडावी को लगी तो वे खुद एक समिति प्रबंध अध्यक्ष यादराम पटेल को लेकर आयोजन स्थल पहुंची और समितियों को सूचना नहीं दिए जाने को लेकर डीएफओ ने रायगढ़ के प्रभारी रेंजर हेमलाल जायसवाल को भी जमकर फटकार लगाई।
