रायगढ़, 29 नवंबर। राजधानी रायपुर में बीएससी नर्सिंग कोर्स करने वाली युवती को दुल्हन बनाने का झांसा देते हुए दैहिक शोषण कर दूसरी युवती से ब्याह रचाने के मामले में फास्ट ट्रैक कोर्ट ने आरोप सिद्ध होने पर सीआईएसएफ के कांस्टेबल को न केवल 10 साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई, बल्कि 1 लाख रूपये के अर्थदंड से भी दंडित किया है।
न्यायालय सूत्रों के मुताबिक मूलत: सारंगढ़ के रानीसागर में रहने वाला नंदकुमार मनहर आत्मज लाभेराम (32 वर्ष) पर आरोप था कि जब वह दंतेवाड़ा जिले के बरेली में सीआईएसएफ का आरक्षक था तो 2012 में उसकी मुलाकात परिचित की एक ऐसी युवती से हुई जो रायपुर में बीएससी नर्सिंग कोर्स कर रही थी। एक रोज मुलाकात होने के बाद दोनों में मोबाइल से अक्सर बातचीत होते रहने से प्रेम संबंध स्थापित हो गया। इस बीच नंदकुमार की पोस्टिंग दिल्ली होने के बावजूद वह युवती से मिलने आता रहा। मेडिकल की पढ़ाई पूरी होने के बाद 2015 में युवती की पोस्टिंग मेडिकल कॉलेज में हो गई। नंदकुमार 2018 में युवती को रायगढ़ के शिवम लॉज ले गया और शारीरिक संबंध बनाया।
युवती को भरोसा था कि सीआईएसएफ का जवान उससे शादी कर लेगा। इसके बाद नंदकुमार लगातार उसकी अस्मत से खेलता रहा। युवती जब विवाह के लिए कहती हो नंदकुमार उसे टाल देता था। फिर 2021 में युवती को पता चला कि उसे दुल्हन बनाने का दिवास्वप्न दिखाने वाले नंदकुमार ने किसी और से ब्याह रचा लिया है तो वह शॉक्ड हो गई। प्रेम प्रसंग में अपना सब कुछ लुटा बैठी युवती ने परिजनों को आपबीती बताई तो मामला थाने पहुंचा। ऐसे में रायगढ़ के कोतवाली पुलिस ने आरोपी के खिलाफ धारा 376 (न) के तहत अपराध पंजीबद्ध करते हुए आरक्षक को गिरफ्तार कर केस डायरी न्यायालय में पेश किया।
फास्ट टैक कोर्ट के अपर सत्र न्यायाधीश जितेंद्र कुमार जैन ने घटना से जुड़े सभी पहलुओं और दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद अपराध प्रमाणित होने पर सीआईएसएफ कांस्टेबल को 10 वर्ष की कड़ी कैद की सजा सुनाते हुए 1 लाख रूपये के अर्थदंड़ से दंडि़त किया है। अर्थदंड की राशि चुकता नहीं कर पाने की स्थिति में मुल्जिम को 6 माह जेल में अतिरिक्त रहना पड़ेगा। इस प्रकरण में शासन की तरफ से अपर लोक अभियोजक हरिलाल पटेल ने पैरवी की।
