गौण खनिज के अवैध खनन और परिवहन को रोकने खनिज विभाग गंभीर नहीं, कोल माइंस क्षेत्र की तरह टिमरलगा-गुड़ेली में धर्मकांटा स्थापित नहीं
रायगढ़। खनिजों की चोरी बहुत बड़ी समस्या है, जिसे रोकने के लिए तमाम कोशिशें फेल हो चुकी है। टिमरलगा-गुड़ेली के क्रशरों से ओवरलोड निकल रही गाडिय़ों को भी नहीं रोका जा सका है। दरअसल इस समस्या का ठोस इलाज कभी खनिज विभाग ने किया ही नहीं। लाइमस्टोन और डोलोमाइट के अवैध परिवहन को रोकने के लिए सबसे पहली जरूरत धर्मकांटा की है, जो अब तक स्थापित नहीं किया गया है।












टिमरलगा और गुड़ेली से रोजाना करीब 300 गाडिय़ां गिट्टी लेकर निकलती हैं। इनमें खनिज विभाग द्वारा जारी टीपी रहनी जरूरी है। टिमरलगा खनिज बैरियर में केवल टीपी दिखाकर प्रति गाड़ी फिक्स राशि दी जाती है। इतनी ही जांच के बाद गाड़ी को जाने दिया जाता है। खनिज विभाग रोजाना रुटीन जांच में सिर्फ इतना ही कर पाता है। इस अनदेखी की आड़ में गाडिय़ों में लोड खनिज की जांच ही नहीं हो पाती है। जब भी जांच होती है तो गाडिय़ों का वजन कराया जाता है। तब ओवरलोड गाडिय़ां पकड़ में आती हैं। अभी तक न तो ओवरलोड गाडिय़ां रुकी और न ही खनिज विभाग जागा। दरअसल जहां भी निजी खदानों की संख्या ज्यादा होती है, वहां खनिज विभाग एक धर्मकांटा स्थापित करता है। तमनार के हुकराडीपा में धर्मकांटा स्थापित किया है। इसी तरह टिमरलगा में भी धर्मकांटा स्थापित होना चाहिए।





हर गाड़ी में धर्मकांटे की पर्ची अनिवार्य
क्रशरों से निकली गाड़ी में टीपी में तय मात्रा लिख दी जाती है जो 25-30 टन होती है। लेकिन यह सही नहीं होता। सरकारी धर्मकांटा स्थापित तरने से खनिजों की चोरी रुकेगी क्योंकि तब टीपी के साथ एस कांटे में वजन की पर्ची भी संलग्न करनी होगी। ऐसी स्थिति में खनिजों की चोरी रुक सकती है।



